
नौकरशाही की अराजकता के चलते दम तोड़ रहे सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्विद्यालय से संबद्ध महाविद्यालय:
लखनऊ। एक तरफ सनातन धर्म की रक्षा के लिए योगी सरकार एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं संस्कृत माध्यम से संचालित महाविद्यालयों को अपग्रेड करने की तैयारी है वहीं दूसरी ओर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से सम्बद्कई महाविद्यालय नौकरशाही की अराजकता के चलते दम तोड़ने के कगार पर आ गए हैं।

कई संस्कृत महाविद्यालयों में रिक्त पदों के सापेक्ष नियुक्ति के लिए अधियाचन संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के निबन्धक राकेश शुक्ला के पास भेजा गया जहां फाइलें धूल फांक रही हैं। एक प्रकरण टीकर माफी संस्कृत महाविद्यालय अमेठी का है। यह महाविद्यालय सन 1956 से संचालित है। इस महाविद्यालय ने कई प्रसिद्ध व्याकरणाचार्य व संस्कृत के उद्भट विद्वान दिए एवं आज भी टीकर माफी संस्कृत महाविद्यालय उत्तरप्रदेश के प्रमुख संस्कृत महाविद्यालयो में से एक है । इसी महाविद्यालय में कुछ अध्यापकों के सेवा निवृति के कारण रिक्तियों के सापेक्ष नियुक्ति का अधियाचन संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के निबंधक राकेश शुक्ला को भेजा गया। उन्होंने 1978 से वित्तीय सहायता प्राप्त टीकर माफी संस्कृत महाविद्यालय के पद सृजन के सत्यापन का हास्यस्पद आदेश दिया। हास्यस्पद इसलिए क्योंकि इसी महाविद्यालय के तमाम शिक्षक सेवा निवृत्ति उपरांत जहां पेंशन पा रहे हैं और वर्तमान में कई अध्यापक वेतन प्राप्त कर रहे हैं।
यह साजिश नहीं तो और क्या है:
रजिस्ट्रार राकेश शुक्ला अच्छी तरह जानते थे कि परमहंस संस्कृत महाविद्यालय टीकर माफी का प्रकरण माध्यमिक शिक्षा विभाग के अनुभाग 9 से संदर्भित है फिर भी उन्होंने जानबूझकर महाविद्यालय में पद सृजन का सत्यापन करने के लिए उच्च शिक्षा विभाग के अनुभाग 1 को पत्र लिखा जहां से ना कोई जवाब आना था और ना जवाब आया यह बात राकेश शुक्ला भी जानते थे कि वहां पर पत्र भेजने के बाद यह मामला लटक जाएगा। कुल मिलाकर उनकी कोई इच्छा महाविद्यालय पूरी नहीं कर पाया इसलिए उनके कोप भजन का शिकार बन रहा है।

जो महा विद्यालय सन 1956 से संचालित है और 1978 से अनुदान पर है बड़ी संख्या में शिक्षक सेवानिवृत होकर पेंशन ले रहे हैं उस महाविद्यालय में पद सृजन का निबंधक महोदय शासन में वह भी गलत पते पर भौतिक सत्यापन करवा रहे हैं। फिलहाल निबंधक राकेश शुक्ला के आदेश पर अमेठी जनपद के जिला विद्यालय निरीक्षक ने टीकर माफी संस्कृत महाविद्यालय के शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के पद सृजन का सत्यापन तथा पुष्टि करते हुए अपनी आख्या निबंधक महोदय को 4 बार प्रेषित कर दी लेकिन निबंधक राकेश शुक्ला को इससे संतोष नहीं हुआ और उन्होंने कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डाल दिया।

अहंकार चरम पर, हाईकोर्ट के आदेश की भी सुनवाई नही:
जब निबंधक के यहां कोई सुनवाई नहीं हुई तो महाविद्यालय ने पूर्व में हुए एक आदेश की रूलिंग के साथ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट ने याचिका को निस्तारित करते हुए याची महाविद्यालय को संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के उप कुलपति को पूरा विवरण प्रस्तुत करने का आदेश दिया और साथ ही इस प्रकरण को दो महीने के अंदर निस्तारित करने का भी आदेश दिया लेकिन निबंधक राकेश शुक्ला की अड़ंगेबाजी अभी भी जारी है। उनके रवैया से लगता नहीं है कि हाई कोर्ट के आदेश भी उन पर असर करेंगे। इस प्रकरण से ऐसा लग रहा है कि अधिकारियों के चलते प्रदेश में संस्कृत महाविद्यालय संचालित करना आसान नहीं है।

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