
नई दिल्ली। अमेरिका के सीड्स उद्योगपति एलन मस्क ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अदावत में एक नई राजनीतिक पार्टी के गठन का ऐलान कर दिया है जिसका नाम उन्होंने अमेरिका पार्टी रखा है। एलन मस्क के पॉलिटिकल पार्टी बनाने के बाद यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि भारत के प्रमुख उद्योगपति गौतम अडानी भी अपनी नई पार्टी बना सकते हैं। लगभग 67 बिलियन डॉलर मूल्य की संपत्ति के मालिक गौतम अडानी अपनी पॉलीटिकल पार्टी क्यों बना सकते हैं और इसकी कितनी संभावना है अवध भूमि न्यूज़ में इसकी पड़ताल की है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भाजपा पर नियंत्रण:
जानकारों का मानना है कि अदानी ने पॉलीटिकल पार्टी भारतीय जनता पार्टी में डोनेशन के रूप में हजारों करोड़ों का निवेश किया है जिसका फायदा उन्हें प्रत्यक्ष तौर पर हुआ है और देश की सबसे बड़ी सार्वजनिक संपत्तियों पर उनका कब्जा हो गया है। बिजली कोयला पोर्ट एयरपोर्ट समेत लगभग दो तिहाई सार्वजनिक संपत्ति उनके कब्जे में है लेकिन इस बीच में भारतीय जनता पार्टी पर नियंत्रण के लिए जिस प्रकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और प्रधानमंत्री मोदी खेमे में संघर्ष चल रहा है उसे अदानी को अपना भविष्य सुरक्षित नहीं दिखाई दे रहा है। अदानी पहले भी यह संकेत दे चुके हैं कि यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसंद का राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं होगा तो वह भाजपा से दूरी बना सकते हैं। इधर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी या महसूस कर रहा है कि भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह गौतम अडानी के प्रति जवाब देह हो गई है जिसकी वजह से पार्टी को बड़ी बदनामी हो रही है। यही वजह है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इस बार पूरा जोर लगाया है और प्रधानमंत्री मोदी के करीबियों को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की राह में रोड़ा बन गया है। उम्मीद की जा रही है कि इस पखवाड़े राष्ट्रीय अध्यक्ष का फैसला होगा लेकिन असली घमासान कब शुरू होगा जब राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रधानमंत्री मोदी का करीबी नहीं होगा।
अनुकूल सरकार अडानी की मजबूरी:
इधर गौतम अडानी की सबसे बड़ी मजबूरी यह है कि वह अनुकूल सरकार के बिना रह नहीं सकते क्योंकि मोदी सरकार में कई विवादित अधिग्रहण शेयर बाजार में हेरा फेरी जैसे प्रकरण में फंसे हुए हैं ऐसे में बिना अनुकूल सरकार के अदानी की मुसीबत बढ़ सकती है। जानकारों का मानना है कि गौतम अडानी स्वयं या अपने इसारे से किसी राजनीतिक दल का गठन करवा सकते हैं। गौतम अडानी इस बात से भी चिंतित हैं कि 75 वर्ष की उम्र पूर्ण करने के बाद अगर प्रधानमंत्री मोदी ने अवकाश ले लिया तो फिर उनका क्या होगा। अदानी की चिंता यहां भी है कि भविष्य का प्रधानमंत्री क्या उनके लिए उतना उपयुक्त होगा या नहीं जितना कि प्रधानमंत्री मोदी रहे हैं। अदानी खेमा तमाम संभावनाओं का आकलन कर रहा है जिसमें से एक राजनीतिक पार्टी के गठन जैसी संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
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