अवधभूमि

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लखनऊ। आबकारी विभाग में 4 वर्ष से अधिक पुरानी फाइलों को  BIDOT करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह प्रक्रिया फिलहाल विवादों और सवालों में है। BIDOT की प्रक्रिया इसलिए सवालों के घेरे में है क्योंकि अभी तक इसके लिए किसी प्रकार से कोई निविदा प्रकाशित नहीं की गई है और ना ही इस प्रक्रिया के लिए किसी प्रकार की कमेटी तैयार की गई है फिर भी महत्वपूर्ण पत्रावली को बैक डोर से नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसकी चर्चा उसे समय जोर पकड़ने लगी जब बिना किसी आदेश के टेक्निकल स्टैटिक अल्कोहल और लाइसेंस की तमाम पत्रावली एक शराब कंपनी के ट्रक में लोड की गई और इसे बताया गया कि लखनऊ के लिए भेजा गया जबकि सूत्रों का कहना है कि लखनऊ में जो राणा प्रताप मार्ग पर आबकारी विभाग का कैंप कार्यालय है वहां इतनी जगह नहीं है कि हजारों पत्रावलियों का रखरखाव हो सके।

कोरोना काल के  राजस्व आंकड़े से संबंधित पत्रावली बताई जा रही गायब:

इस बीच अभी चर्चा है कि 2019 – 20 व 2020- 21 जिस समय कोरोना अपने पीक पर था तथा एक महीने तक डिस्टलरी गोदान और दुकान बंद थी  उन वर्षों में भी विभाग में अपने राजस्व आंकड़ों में हजारों करोड़ों की बढ़ोतरी दिखाई थी जो कि किसी भी सूरत में संभव नहीं थी। यह आंकड़ा इसलिए भी फर्जी प्रतीत हो रहा है क्योंकि तत्कालीन प्रमुख सचिव संजय भूस रेड्डी के आदेश पर प्रदेश की सभी डिस्टलरी को बंद करके रिजर्व मोलासेस से इंडस्ट्रियल अल्कोहल सैनिटाइजर के रूप में तैयार होने लगा और इसे विभिन्न विभागों और अस्पतालों में मुफ्त में दिया जाने लगा इस मामले में तत्कालीन प्रमुख सचिव संजय भूस रेड्डी  की उस समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने काफी तारीफ की थी। सबसे बड़ा सवाल यही पैदा हो रहा है कि जब डिस्टलरी बंद थी गोदाम बंद थे लाइसेंस की दुकान बंद थी फिर आबकारी विभाग का रेवेन्यू कम होने के बजाय कैसे बढ़ गया। यह वही पीरियड है जब सहारनपुर की टपरी कोऑपरेटिव डिस्टलरी में अरबो रुपए की अवैध शराब का उत्पादन और सरकारी गोदाम के जरिए बिक्री की गई। इस मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय द्वारा प्रचलित है। अब यह चर्चा है कि कोरोना समय के राजस्व आंकड़े जो तत्कालीन प्रमुख सचिव और कमिश्नर के जी का जंजाल बन सकते हैं उससे संबंधित पत्रावली की सुरक्षा को लेकर सवाल है कहा जा रहा है कि BIDOT प्रक्रिया में यह पत्रावली भी गायब है। यह भी जानकारी मिली है कि 32 वर्षों तक  नियम कानून को ताक पर रखकर विभाग में जॉइंट डायरेक्टर स्टैटिक जैसे पद पर कार्यरत रहा जोगिंदर सिंह अपने कार्यकाल के दौरान ऑनलाइन संपूर्ण डाटा को रिमूव करके चला गया बताया जा रहा है कि 2016-17 से 2023 24 के राजस्व आंकड़े रिमूव कर दिए गए लेकिन संबंधित पत्रावली विभाग में मौजूद थी कहा जा रहा है कि जो आंकड़े ऑनलाइन हो जाते हैं उनसे संबंधित पत्रावली नष्ट कर दी जाती है लेकिन 2019-20 और 2020-21 के विवादित राजस्व आंकड़े जो वास्तविकता से दूर थे उसको रिमूव करके अपनी गर्दन फसने से जरूर बचाया लेकिन विभाग को पूरी तरह फंसा दिया।

विभाग को सीएजी का डर:

भरोसेमंद सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 2019-20 से आज तक आबकारी विभाग के तमाम सेक्सन तथा विशेष कर राजस्व आंकड़ों से संबंधित अभिलेख ऑडिट के लिए उपलब्ध नहीं कराया गए हैं। यह भी कहां जा रहा है कि ऐसे सभी आंकड़े जिसमें विभाग के कई अधिकारियों की गर्दन फसने का डर है उन्हें BIDOT प्रक्रिया में नष्ट किया जा सकता है। पूर्व में कमिश्नर और प्रमुख सचिव रहे अधिकारियों के विवादित आदेश नियुक्ति जैसी पत्रावली जो ट्रिब्यूनल  अथवा हाई कोर्ट में लंबित नहीं है उन्हें नष्ट करने की तैयारी हो रही है।

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