टास्क फोर्स में ऑप्शन देने में किया खेल:

लखनऊ। वैसे तो आबकारी विभाग ने निष्पक्ष व पारदर्शी तरीके से ऑनलाइन मेरीट बेस्ड पोस्टिंग की लेकिन कुछ पोस्टिंग फिर भी सवालों के घेरे में है। 15 वर्षों से आबकारी विभाग के कार्मिक में तैनात प्रसेन रॉय का नाम उस सूची में शामिल क्यों नहीं हुआ जिसमें 3 वर्ष से अधिक तैनाती वाले कार्मिकों का विवरण मानव संपदा पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य किया था। आबकारी विभाग ने प्रसेन रॉय को ऑप्शन लिंक क्यों नहीं भेजा। इसी तरह टास्क फोर्स लखनऊ में तैनात रही इंगिता पांडे की बाराबंकी सर्किल दो में पोस्टिंग भी सवालों के घेरे में है। बताया जा रहा है कि उन्हें टास्क फोर्स में अभी 2 साल ही पूरा हुआ था ऐसे में उनका ट्रांसफर कैसे हो गया। इसी प्रकार राम पटेल नीतू सिंह जिनका टास्क फोर्स में 3 वर्ष से अधिक हो गया उनका ट्रांसफर क्यों नहीं हुआ जबकि आबकारी निरीक्षक नागेंद्र सिंह जिनका अलीगढ़ में ट्रांसफर हुआ था और ट्रांसफर का एक वर्ष ही बीता है उन्हें लिंग कैसे हासिल हुआ और पोस्टिंग कैसे हो गई।
आबकारी विभाग के विभिन्न अनुभाग में दशकों से तैनात है सिपाही और बाबू:
इस बीच नीरज पांडे एडवोकेट ने आबकारी विभाग में मनमानी और अराजकता को लेकर एक गंभीर शिकायत मुख्यमंत्री और मंत्री को भेजी है जिसमें कहा गया है कि आबकारी मुख्यालय के विभिन्न अनुभाग में 10 से 11 वर्षों से लोग जमे हुए हैं जिनका पटेल भी नहीं बदल गया और जिनकी फील्ड पोस्टिंग होनी चाहिए थी उन्हें यहां जानबूझकर रोका गया है और ट्रांसफर पॉलिसी की धज्जियां उड़ाई गई है।

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