श्रीमद्भागवत वैष्णवों का प्राण है:– स्वामी इंदिरा रमणाचार्य
संत निवास परसनपांडे का पुरवा सेनानी ग्राम देवली में श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ करते हुए परम पूज्य श्री श्री 1008 स्वामी श्री इंदिरा रमणाचार्य पीठाधीश्वर श्री जीयर स्वामी मठ जगन्नाथ पुरी ने धर्माचार्य ओमप्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामायण दास एवं नारायणी रामानुज दासी को श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ श्रवण करते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत समाधिभाषा है तथा वेदों के समक्ष ही परोक्ष वादी है।
उद्धव जी ने भगवान से प्रार्थना किया कि हे प्रभु आप तो पृथ्वी लोक को छोड़ कर जा रहे हैं ।आपके भक्त कैसे जीवित रहेंगे? तो भगवान ने उद्धव जी की इस बात पर गौर किया और मनन करके अपना तेज श्रीमद्भागवत में आसीन कर दिया। इसलिए श्रीमद्भागवत शास्त्र की सर्वाधिक महिमा संसार में प्रसिद्ध है। शब्द ब्रह्म के द्वारा ही परम ब्रह्म की अभिव्यक्ति संभव है, उपरोक्त सिद्धांत से ही यह सिद्ध हुआ होता है कि सिर्फ श्रीमद्भागवत भागवत परिपूर्णतम ब्रह्म श्री कृष्ण चंद्र जी का वांग्मय स्वरूप है। समस्त उपनिषदों का सार भूत है। समस्त वैष्णवों का प्राण है। चिंतामणि और कल्पवृक्ष में भी यह समर्थ नहीं है कि वह परमात्मा को प्रकट कर दिखा दे या ब्रह्म का साक्षात्कार करा दे किंतु श्रीमद्भागवत महापुराण इतना सामर्थवान है कि वह ब्रह्म का भी साक्षात्कार कराता है। देवताओं ने शुकदेव जी से निवेदन किया कि हम अमृत कलश लेकर आए हैं यह अमृत आप राजा परीक्षित को पिला दीजिए वह मृत्यु से मुक्त हो जाएंगे। शुकदेव जी ने कहा है कि हे देवताओं आपने श्री भागवत की तुलना अमृत से किया है इसलिए तुम्हें श्रीमद्भागवत नहीं श्रवण कराएंगे। अमृत अमर कर सकता है किंतु श्रीमद्भागवत ब्रह्म का साक्षात्कार कराता है।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से स्वामी राम प्रपन्नाचार्य प्रधान पुजारी नैमिष नाथ भगवान नैमिषारण्य देवव्रत मिश्रा चिंतामणि पांडे एडवोकेट श्याम शंकर तिवारी क्रांतिकारी मुकेश आचार्य शिवदयाल शास्त्री श्री त्रिविक्रम रामानुज दास अंकित शास्त्री विजय गुप्ता राम प्रकाश पांडे तुंग नारायण पांडे राजेंद्र सिंह अरुण शुक्ला जयप्रकाश पांडे विनय पांडे रंगनाथ पांडे गोविंद पांडे सहित भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे।
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