अवधभूमि

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लखनऊ। स्टार लाइट ब्रुकेम में करोड़ों रुपये के ईएनए घोटाले की जांच करने वाले डिप्टी एक्साइज कमिश्नर आलोक कुमार खुद सवालों के घेरे में है। इन्होंने अपनी जांच आख्या में 29000 लीटर के दो ऑफलाइन परमिट तत्कालीन डिप्टी एक्साइज कमिश्नर और वर्तमान में जॉइंट एक्साइज कमिश्नर मेरठ दिलीप मणि त्रिपाठी द्वारा जारी होने की बात कही लेकिन मजे की बात है कि जिस समय यह परमिट जारी हुई उस समय आलोक कुमार की मुख्यालय में डिप्टी लाइसेंस के पद पर तैनात थे ऐसे में सवाल उठ रहा है कि उन्होंने इस फर्जीवाड़े का संज्ञान आखिर क्यों नहीं लिया। उन्होंने अपनी जांच आख्या में अवैध रूप से ऑफलाइन परमिट के जरिए 58000 लीटर ईएनए स्टार लाइट डिस्टलरी में इंपोर्ट किए जाने की बात मानी है लेकिन आख्या में इस अवैध ईएनए बनी शराब की निकासी और वितरण पर चुप्पी क्यों साध ली । जब डिप्टी लाइसेंस आलोक कुमार को यह जानकारी मिल गई थी कि ऑफलाइन परमिट के जरिए 58000 लीटर ईएनए स्टार लाइट डिस्टलरी तक पहुंचा है तो उन्होंने डिप्टी लाइसेंस के रूप में डिस्टलरी का लाइसेंस सस्पेंड करने या निरस्त करने की कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की। सवाल तब और गहरा हो जाता है जब वर्तमान में देवीपाटन मंडल के डिप्टी एक्साइज कमिश्नर आलोक कुमार स्टार लाइट में हुए ईएनए घोटाले की अपनी रिपोर्ट में इस प्रकरण को जानबूझकर गोल कर गए।

अब यह जानकारी मिल रही है कि ऑफलाइन परमिट के जरिए जो 58000 लीटर ईएनए अवैध रूप से स्टार लाइट डिस्टलरी आया इसकी बॉटलिंग और निकासी हुई तथा लगभग 50 करोड रुपए के इस शराब की निकासी करके कथित रूप से तत्कालीन डिप्टी एक्साइज कमिश्नर देवीपाटन मंडल तथा डिप्टी लाइसेंस और अन्य अधिकारियों के बीच बंदर बांट कर ली गई।

ऐसे में सबसे गंभीर सवाल यही है कि क्या आपकारी विभाग को करोड़ों रुपए का चूना लगाने वाले और स्टार लाइट में 58000 लीटर ईएनए की चोरी में डिस्टलरी का साथ देने वाले तत्कालीन डिप्टी लाइसेंस और वर्तमान डिप्टी आबकारी कमिश्नर देवीपाटन मंडल आलोक कुमार को प्रोन्नति देकर जॉइंट एक्साइज कमिश्नर बनाने की तैयारी चल रही है। ऐसा अंधेर केवल आबकारी विभाग में ही संभव है।

क्यों सवालों के घेरे में है डिप्टी एक्साइज कमिश्नर देवी पाटन मंडल:

वर्तमान में डिप्टी एक्साइज कमिश्नर देवी पाटन मंडल आलोक कुमार ने आबकारी आयुक्त डॉक्टर आदर्श सिंह को भेजी अपनी गोपनीय आख्या में  मेजर्स स्टार लाइट ब्रुकेम नवाबगंज आसवनी गोंडा द्वारा दो इंपोर्ट परमिट के सापेक्ष निर्यात की गई 58000 बल्क लीटर ग्रेन ईएनए की आमद डिप बुक  स्टॉक पंजिका में न  लेने तथा व ग्रेन ईएनए का गबन कर कुप्रयोग कर  विभाग को करोड़ों रुपए की राजस्व नुकसान का आरोप लगाया।

आबकारी आयुक्त को भेजी अपनी रिपोर्ट में आलोक कुमार ने बताया कि स्टार लाइट डिस्टलरी नवाबगंज गोंडा देसी शराब उत्पादन के लिए 58000 बल्क  लीटर ग्रेन ईएनए  मेसर्स जैकपिन बेवरेज नौगांव छतरपुर से 29 मई 2024 को आयत के लिए पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन किया। आवेदन के क्रम में आबकारी आयुक्त द्वारा इंपोर्ट परचेज आदेश संख्या PD/313/SIO/SP_0000001 जिसकी वैधता तिथि 29 जून तक रही। 31 में 2024 को तत्कालीन उप आबकारी आयुक्त देवी पाटन मण्डल ने 29000 bl के दो परमिट निर्गत कर दिए। इस बीच 14 जून 2024 को तत्कालीन डिप्टी एक्साइज कमिश्नर देवीपाटन मंडल द्वारा स्टार लाइट डिस्टलरी को 29000 बल्क लीटर के दो ऑफलाइन परमिट जारी कर दिए। स्टार लाइट डिस्टलरी ने इसी ऑफलाइन परमिट के जरिए जैकपिन बेवरेज नौगांव छतरपुर से 58000bl ईएनए की खरीद के लिए विभाग से मिला ऑफलाइन परमिट सबमिट कर दिया। इस ऑफलाइन परमिट की वैधता के सत्यापन के लिएजैकपिन बेवरेज नौगांव छतरपुर 19 जून 2024 को एक पत्र डिप्टी एक्साइज कमिश्नर देवीपाटन मंडल कार्यालय को भेजा गया जिसकी पुष्टि 20 जून को डिप्टी एक्साइज कमिश्नर देवीपाटन मंडल द्वारा कर दिया गया। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि ऑफलाइन परमिट के सत्यापन के लिए देवीपाटन मंडल कार्यालय को जब नौगांव की डिस्टलरी ने पत्र भेजा तो इसकी पुष्टि कैसे कर दी गई जबकि ऑफलाइन परमिट अवैध होता है। कहां जा रहा है कि इस खेल में वर्तमान डिप्टी एक्साइज कमिश्नर देवीपाटन मंडल आलोक कुमार भी शामिल है इतने बड़े घोटाले में शामिल आलोक कुमार को इसी घोटाले के लिए इनाम स्वरूप अब जॉइंट एक्साइज कमिश्नर बनाने की तैयारी है।

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