अवधभूमि

हिंदी न्यूज़, हिंदी समाचार

आबकारी विभाग के सांख्यिकी आंकड़े गायब!

लखनऊ। इन दोनों आबकारी मुख्यालय में एक सनसनी खेज मामला सुनने में आ रहा है जिसकी पुष्टि तभी हो सकती है जब इसकी जांच कर स्थिति स्पष्ट की जाए। कहां जा रहा है कि कथित रूप से पूर्व में सांख्यिकी अधिकारी रहे जोगिंदर सिंह अपने रिटायरमेंट से पहले अपने 32 साल के काले कारनामे को छुपाने के लिए सांख्यिकी विभाग के अपने कार्यकाल के सभी आंकड़े सिस्टम से फॉर्मेट कर गए। यह भी दावा किया जा रहा है कि कमिश्नर की जानकारी में यह घटना हुई है।

पता चला है कि जब जोगिंदर सिंह को सेवा विस्तार नहीं मिला तो उन्होंने ऐसा कदम उठाया। यह भी कहां जा रहा है कि जोगिंदर सिंह को डर था कि उन्होंने कई सालों से जो फर्जी राजस्व आंकड़े जारी किए थे उसकी पोल तब खुल सकती थी जब संख्या निदेशालय से कोई अधिकारी यहां तैनात होता और स्टैटिक के सारे आंकड़े का खेल समझ लेता। यह भी कहां जा रहा है कि जोगिंदर सिंह ने रिटायरमेंट के बाद उन्हें कोई समस्या चुनौती न आए इसलिए ऐसा कदम उठाया। यहां सबसे बड़ा सवाल आबकारी आयुक्त आदर्श सिंह और प्रमुख सचिव की भूमिका को लेकर भी है। अब यह पता चल रहा है कि जब कमिश्नर को पता चला की सांख्यिकी के सारे आंकड़े जोगिंदर सिंह द्वारा डिलीट कर दिए गए हैं तो उन्होंने प्रमुख सचिव को यह जानकारी दी थी और दोनों ने तय किया कि सांख्यिकी विभाग से नए अधिकारी की नियुक्ति के लिए अधि याचन  नहीं भेजा जाए। कमिश्नर ने सांख्यिकी विभाग में विशेषज्ञ अधिकारी की तैनाती के बजाय एक विवादित डिप्टी एक्साइज कमिश्नर प्रदीप दुबे को एडिशनल चार्ज के रूप में सांख्यिकी का कथित रूप से जॉइंट डायरेक्टर बना दिया जो पोस्ट है ही नहीं।

जब राजस्व आंकड़े गायब तो कैसे घोषित हुई नई आबकारी पॉलिसी:

यहां सबसे बड़ा और गंभीर सवाल यह खड़ा हो गया है कि पूर्व सांख्यिकी अधिकारी 31 अक्टूबर 2024 तक सिस्टम पर जो भी आंकड़े थे उसे रिमूव कर गए तो फिर किस आंकड़े के आधार पर नई आबकारी पॉलिसी घोषित की गई। दूसरा सवाल यह है कि आबकारी आयुक्त ने जोगिंदर सिंह के अवकाश से पूर्व सांख्यिकी अधिकारी की नियुक्ति के लिए सांख्यिकी निदेशालय को क्यों नहीं अधियाचन भेजा जबकि आबकारी पॉलिसी में सांख्यिकी अधिकारी के आंकड़े और प्रेजेंटेशन ही सबसे महत्वपूर्ण होता है। जहां भी जांच होनी चाहिए कि क्या वास्तव में पूर्व सांख्यिकी अधिकारी द्वारा आंकड़ों से छेड़छाड़ की गई या उन्हें रिमूव किया गया या नहीं। फिलहाल यह प्रकरण बेहद गंभीर है और विभागीय मंत्री को इसकी जांच जरूर करनी चाहिए।

About Author