भुवनेश्वर।रायपुर में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि विदेश में ईसा मसीह की वैष्णव तिलक लगाए हुए प्रतिमा भी है.
शंकराचार्य ने दावा किया कि ‘ईसा मसीह ने गुप्त रूप से तीन साल पुरी में बिताए और इस दौरान वे शंकराचार्य के संपर्क में भी थे. ईसा मसीह वैष्णव संप्रदाय के अनुयायी थे.’
पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के एक बयान के बाद हंगामा बरपा है। उन्होंने कहा कि ईसा मसीह सनातनी हिंदू थे और ब्राह्मण जनेऊ धारी थे। इसलिए उनका विरोध करना किसी तरह से उचित नहीं है।
शंकराचार्य ने दावा किया कि ‘ईसा मसीह ने गुप्त रूप से तीन साल पुरी में बिताए और इस दौरान वे शंकराचार्य के संपर्क में भी थे. ईसा मसीह वैष्णव संप्रदाय के अनुयायी थे.’
शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि महात्मा गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे की पीड़ा को समझने की ज़रूरत है. शंकराचार्य ने कहा कि गोडसे के विचार से मुझे सहमत या असहमत मत मानिए.
शंकराचार्य ने रायपुर में कहा कि “गांधी जी की हत्या की उन्होंने, इससे तो मैं सहमत नहीं हूं. लेकिन उनका जो वक्तव्य है, मेरे पास वृंदावन या पुरी में पुस्तक है.”
उस पुस्तक को पढ़ने के बाद, आपका हृदय स्वीकार करेगा कि नाथूराम अत्यंत व्यथित थे, जो चाल चलन, उस समय भारत में क्रियान्वित करने का प्रयास चल रहा था. उनके वक्तव्य को पढ़ कर प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते.”
शंकराचार्य ने नाथूराम गोडसे की किताब का उल्लेख करते हुए कहा, “जिस समय गांधी को मारने का विचार मैंने किया, उस समय मैंने मान लिया कि मैं मर गया.”
“स्वयं का अंत, मारा ही जाऊंगा, फांसी की सज़ा मिलेगी, लेकिन मैंने क्यों मारा, इसलिए मारा कि उस व्यक्ति की कूटनीति चल जाती, अधिक समय तक जीवित रहते तो न भारत का अस्तित्व सिद्ध होता और ना आदर्श.”
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