प्रयागराज। आबकारी मुख्यालय इस समय भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ है। भ्रष्टाचार अनियमित और अराजकता के लिए चर्चित लोगों को कमिश्नर द्वारा महत्वपूर्ण चार्ज दिया जा रहा है। डिप्टी शीरा उत्पादन के पद पर ACE परशुराम दुबे की तैनाती से विभाग के लोग हैरान है। बताया जा रहा है कि परशुराम दुबे की तैनाती इआईबी जैनेंद्र उपाध्याय की सिफारिश पर हुई है। यह नियुक्ति सवालों के घेरे में है क्योंकि जिस परशुराम को तैनाती मिली है केके गंभीर मामलों में लंबे समय तक निलंबित रहे हैं।
जॉइंट जैनेंद्र उपाध्याय और परशुराम दुबे को कथित रूप से कंपनी का आदमी माना जाता है। हरदोई के शाहाबाद में तैनाती के दौरान एक बड़ा शराब कांड हुआ था जिसके परशुराम दुबे ही मास्टरमाइंड बताया जा रहे थे इस प्रकरण में इन्हें लंबे समय तक निलंबित भी रहना पड़ा। कथित तौर पर पंजाब और हरियाणा के शराब माफियाओं से भी इनका संबंध बताया जाता है ।जनपदों में अपनी तैनाती के दौरान परशुराम दुबे पर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप में निलंबित हो चुके हैं।
वेव ग्रुप के बेहद गरीबी बताए जाते हैं परशुराम
कहा तो यहां तक जा रहा है कि परशुराम दुबे की ज्यादातर सर्विस इंस्पेक्टर के रूप में मुरादाबाद सेक्टर वन में ही हुई है यहां पर पोंटी चड्ढा के संपर्क में आए और उनके प्रति अपनी वफादारी के चलते यहां बने रहे। पोंटी चड्ढा और कंपनी ने ही परशुराम दुबे को कथित रूप से क्लीन चिट दिलवाई और अब डिप्टी शीरा उत्पादन जैसा महत्वपूर्ण प्रभाव भी मिल गया है।
शीरा र आवंटन में होता है खेल:
कहा जा रहा है कि डिस्टलरी को मोलासेस आवंटन में बड़ा खेल होता है। डिस्टलरी को शराब उत्पादन के सापेक्ष अधिक मोलासेस आवंटित किया जाता है जिसे वही खाते में हेरा फेरी करके छुपाया जाता है और इस खेल में डिप्टी शीरा उत्पादन का महत्वपूर्ण रोल होता है। ऐसी चर्चा है कि प्रति क्विंटल शीरा आवंटन में कमिश्नर के नाम पर भी वसूली होती है। यह वसूली कथित रूप से करोड़ों में होती है। यही वजह है कि इस पद पर कमिश्नर का बेहद ही भरोसेमंद व्यक्ति तैनात किया जाता है।
फिलहाल अभी तक डिप्टी शीरा का दायित्व संभाल रहे एलपी मिश्रा जिनका इसी महीने की 30 तारीख को रिटायरमेंट है उनके रिटायरमेंट से पहले ही परशुराम दुबे को प्रभार दे देना अपने आप में कई सवाल खड़े कर रहा है।
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