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होत न आज्ञा बिनु पैसा रे: जिनके पास है लाइसेंस:

लखनऊ। आबकारी विभाग के चर्चित डिप्टी लाइसेंस आलोक कुमार की एक से बढ़कर एक मनोहर कहानियां सामने आ रही हैं।

बताया जा रहा है कि बार लाइसेंस देने में मोटी वसूली हो रही है । बहुत से लोगों को नियम कानून तक पर रखकर लाइसेंस दिए गए और बहुत से लोगों को प्रताड़ित किया गया बाद में प्रसन्न होकर पीड़ितों को राहत प्रदान की गई।

समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में क्रीम पोस्टिंग और ट्रांसफर के लिए विभाग के बड़े अधिकारी आलोक कुमार से ही संपर्क करते थे। उनके सितारे हमेशा बुलंद रहे। शराब माफिया का हाथ उनके सर पर रहा। गाजियाबाद के एक चर्चित जिला आबकारी अधिकारी के साथ उनके व्यावसायिक संपर्क के भी चर्चा रही है।

43 लोगों की जहरीली शराब से मौत हुई लेकिन आंच भी नहीं आई:

बताया जा रहा है कि मेरठ में जिला आबकारी अधिकारी रहने के दौरान तीन घटनाओं में लगभग 45 लोग मारे गए। एक घटना मेरठ के जानी इलाके में हुई जिसमें करीब 24 लोगों की मौत हुई थी जबकि दूसरी घटना बागपत रोड पर हुई थी यहां भी दर्जन भर से ज्यादा लोग मारे गए थे। एक और घटना भी घटी थी जिसमें आधा दर्जन लोग मारे गए थे बावजूद इसके तत्कालीन आबकारी आयुक्त पी गुरुप्रसाद ने बचा लिया। इस घटना में तत्कालीन डिप्टी और जॉइंट पर कार्रवाई की गई लेकिन जिला आबकारी अधिकारी रहे आलोक कुमार को पूरी तरह बचाया गया।

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