अवधभूमि

हिंदी न्यूज़, हिंदी समाचार

आबकारी निरीक्षकों के स्थानांतरण में हुआ बहुत बड़ा खेल: आयुक्त सैंथियाल पांडियन सी पर लगे गंभीर आरोप: आयुक्त ने विज्ञप्ति जारी कर दी सफाई

प्रयागराज। लंबी प्रतीक्षा के बाद आखिरकार आबकारी विभाग में निरीक्षकों के स्थानांतरण की जानकारी दी गई है। लेकिन मिली जानकारी के मुताबिक आबकारी निरीक्षकों के तबादले में खेल कर दिया गया है। कहां जा रहा है कि शासन की गाइड लाइन के अनुसार आबकारी निरीक्षकों से ऑनलाइन तीन विकल्प मांगे गए थे। रिक्वेस्ट ऑनलाइन स्वीकृत हुई। लेकिन तबादलों के समय पोर्टल से तबादले ना करके मनमाने ढंग से मैनुअली स्थानांतरण आदेश जारी किए गए। इतना ही नहीं तबादले किस आधार पर हुए। मेरिट और परफॉर्मेंस को किस तरह निर्धारित किया गया। इसका कुछ भी अता पता नहीं है।

अगर सूत्रों की बात पर यकीन करें तो मात्र 10% निरीक्षकों का तबादला ही ऑनलाइन किया गया है बाकी 90% से ज्यादा तबादले मैनुअली जारी किए जा रहे हैं।

विभाग के तबादलों पर जब सवाल उठने शुरू हुए तो आनन-फानन में आबकारी आयुक्त ने एक विज्ञप्ति जारी कर सफाई दी है कि तबादले शासनादेशों के अनुरूप हुए हैं। लेकिन सवाल यह पैदा होता है कि अगर तबादले शासनादेश के अनुरूप हुए हैं तो तबादला सूची पोर्टल पर क्यों नहीं है। सवाल यह भी है कि जिन लोगों ने स्पाउस ग्राउंड या मेडिकल ग्राउंड पर तबादले चाहे थे वह आयुक्त द्वारा कैसे रिजेक्ट हो गए। क्या किसी भी षड्यंत्र के तहत मानव संपदा पोर्टल में सेंधमारी की गई है यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि ऑनलाइन अप्लाई करने के बाद विभाग की स्थानांतरण में कोई भूमिका नहीं रह जाती है। आबकारी आयुक्त की विज्ञप्ति से जवाब कम सवाल ज्यादा पैदा हो रहे हैं।

आबकारी विभाग को यह बताना चाहिए कि पोर्टल पर कुल कितने आवेदन प्राप्त हुए और स्क्रीनिंग करते हुए बिना किसी छेड़छाड़ के पोर्टल ने किस आधार पर और कितने लोगों का स्थानांतरण किया।

अगर ट्रांसफर पोर्टल के आधार पर हुए तो मैनुअली आदेश तो जारी हो रहे हैं

आबकारी आयुक्त के दावे पर सवाल खड़े हो रहे हैं एक तरफ वह कह रहे हैं कि नियमानुसार पोर्टल के जरिए ट्रांसफर हो रहा है वहीं दूसरी ओर मैनुअली आदेश जारी किए जा रहे हैं जो उनके ही दावे की पोल खोल रहे हैं

मलाईदार पोस्टिंग के लिए जमकर हुई वसूली

आबकारी मुख्यालय में तैनात डिप्टी कार्मिक एके सिंह और लखनऊ में ज्वाइंट कमिश्नर के रूप में आज रिटायर हो रहे धीरज सिंह तथा लखनऊ में ही तैनात जिला आबकारी अधिकारी सुशील मिश्रा पर इन तबादलों में हेराफेरी करने और लंबी वसूली करने की चर्चा है। कहा तो यह भी जा रहा है कि आबकारी आयुक्त द्वारा इन्हीं लोगों को तबादला सूची तैयार करने का जिम्मा दिया गया था। फिलहाल तबादलों को लेकर एक बार फिर आबकारी महकमा बदनाम हुआ है। इसकी चर्चा जुबा जुबा पर है।

गोरखपुर के ज्वाइंट कमिश्नर को लखनऊ का अतिरिक्त चार्ज सुर्ख़ियों में

गोरखपुर के ज्वाइंट कमिश्नर एके राय जिनका शराब माफियाओं से संबंध बताया जाता है उन्हें गोरखपुर के अलावा लखनऊ जोन का भी जॉइंट बना दिया गया है इसको लेकर काफी चर्चा है। एके राय की चर्चा इसलिए भी है कि उनके खिलाफ काफी शिकायतें थी और माना जा रहा था कि विभाग उनके खिलाफ कड़े कदम उठाएगा लेकिन हुआ उल्टा गोरखपुर के साथ-साथ लखनऊ में भी मलाईदार पोस्टिंग से वह काफी खुश हैं। लोगे एके राय सेटिंग और रसूख की दाद दे रहे हैं।

About Author

You may have missed