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नजरिया: यहूदियों के साथ हिटलर ने जो किया था ठीक किया था: इसराइल और हमास में कोई फर्क नहीं

बीती रात गाजा पट्टी में वहां के सबसे बड़े हॉस्पिटल अल हमीदी पर इसराइल सैन्य बलों ने जिस तरह बम बरसाए और अस्पताल के मलवे के साथ-साथ लाशों के चीथड़े उड़ गए । हजारों की संख्या में महिलाओं और बच्चों की मौत हुई उसने इस हमले से पहले यहूदियों और इजरायल के प्रति जो सहानुभूति की लहर पूरी दुनिया में थी उसे हवा कर दिया। इस भयावाह हमले का वीडियो और तस्वीरें जब सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो अमेरिका ब्रिटेन फ्रांस जैसे देशों में भी फिलिस्तीनियों के समर्थन में रोमन और कैथोलिक दोनों ही समुदाय के ईसाइयों ने भी बड़ी मात्रा में सड़क पर निकले और इजरायल के खिलाफ नारेबाजी की।

हमास के हमले और मार्केट की तस्वीर जब सोशल मीडिया पर आई थी तब लोगों की हमदर्दी पूरी तरह इजराइल और यहूदियों के साथ थी लेकिन बदले की भावना से इजरायल ने जिस तरह वहां पर निर्दोष महिलाओं और बच्चों को शिकार बनाया है उस लोगों को लगता है कि हमास और इसराइल सेंड बालों में कोई अंतर नहीं है। बिजली पानी और राशन के अभाव में वैसे ही कमजोर लाचार और बीमार लोग तड़प तड़प कर मर ही रहे थे ऐसे में उन पर बमबारी करना क्रुरता की पराकाष्ठा थी।

100 साल पहले हिटलर ने किया था यहूदियों का नरसंहार

आज जिस हालत में फिलीस्तीन के लोग जी रहे हैं कभी इसी तरह जर्मनी में यहूदियों को भी नस्लवाद का सामना करना पड़ा था। , एडोल्फ हिटलर जो कि 20वीं सदी का सबसे क्रूर तानाशाह था वह 1933 में जब जर्मनी की सत्ता पर काबिज हुआ, उसके बाद उसने छह साल में करीब 60 लाख यहूदियों की हत्या कर दी। इनमें 15 लाख तो सिर्फ बच्चे थे। कहां जाता है कि यहूदी समुदाय के लोगों को चुन चुन कर एक ट्रेन में बैठ कर जर्मनी की एक परमाणु भट्टी में ले जाया जाता था जहां सारे यहूदी रख में मिल जाते थे। यहूदियों को अपने साथ हुए अत्याचार को याद रखना चाहिए और किसी पर जुल्म करने से पहले सोचना चाहिए।

फिलिस्तीनियों ने ही यहूदियों को दी थी पनाह

जब पूरी दुनिया में हिटलर की ख्वाब के चलते किसी ने यहूदी समुदाय को बसाने के लिए तैयार नहीं थे तो उसे समय खानाबदोश की जिंदगी जी रहे फिलिस्तीनियों ने ही यहूदियों को अपने साथ रहने के लिए जगह दी बाद में यहूदियों ने हड़प लिया और उन्हें बेघर कर दिया। इतना ही नहीं इसराइल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए फिलीस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र तक बनने देने में काफी मुश्किल है खड़ी की।

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