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नजरिया: प्रधानमंत्री के स्वागत से अमेरिकी मंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों ने क्यों बनाई दूरी: आखिर एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री को क्यों नहीं दिया गया गार्ड ऑफ ऑनर: तो क्या मोदी को लेकर बदल रहा है अमेरिका का नजरिया

वाशिंगटन। महीनों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी स्वागत की तैयारी में जुटे भारतीय दूतावास और अमेरिका में नरेंद्र मोदी समर्थक लॉबी को उस समय बड़ा झटका लगा जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका पहुंचने पर एयरपोर्ट पर उन्हें लेने के लिए अमेरिकी सरकार का कोई मंत्री या बड़ा सैन्य अधिकारी मौजूद नहीं था। इतना ही नहीं अमेरिकी मूल के अधिकारी भी मोदी का स्वागत करने के लिए नहीं पहुंचे।

न्यूयॉर्क: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अमेरिका की अपनी पहली राजकीय यात्रा के लिए मंगलवार को न्यूयॉर्क पहुंचे। एयरपोर्ट पर अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारी, संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी राजदूत योशिता सिंह, अमेरिका में भारतीय राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने उनकी अगवानी की।

नहीं मिला गार्ड ऑफ ऑनर:

अमेरिका में पहली बार ऐसा देखा गया है कि जब किसी देश के प्रधानमंत्री के आगमन पर वहां परंपरागत रूप से दिया जाने वाला गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया गया। एयरपोर्ट पर पहुंचने के बाद भारतीय मूल की संयुक्त राष्ट्र में तैनात योशिता सिंह और अमेरिका में भारतीय राजदूत तरणजीत सिंह ने स्वागत किया लेकिन वहां पर उन्हें किसी प्रकार का गार्ड ऑफ ऑनर नही मिला।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमेरिका में स्वागत कम विरोध अधिक ज्यादा दिखाई दे रहा है। एयरपोर्ट से वाशिंगटन डीसी तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जगह-जगह विरोध किया गया।

इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल और हिंदू फ़ॉर ह्यूमन राइट और दलित सॉलिडेरिटी इंक समेत सत्रह संगठनों का एक नेटवर्क भारत में मानवाधिकार हनन, ख़ासतौर पर मुस्लिमों और दलितों पर बढ़ते अत्याचारों के लिए मोदी के नेतृत्व में चलाई जा रही बीजेपी की केंद्र सरकार को सीधे ज़िम्मेदार ठहराते हुए इस यात्रा का विरोध कर रहा है। इसके लिए हफ्ते भर का विरोध कार्यक्रम घोषित किया गया है जिसमें गुजरात दंगों पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन किया गया।

अमेरिका में 200 सिनेमाघरों में दिखाई गई गुजरात दंगों पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म:

एक तरफ अमेरिका में जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राज्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया वही उनको खलनायक बताने वाली डीडीसी कि गुजरात दंगों पर बनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म को पूरे अमेरिका में दिखाने की मंजूरी दी। मिली जानकारी के मुताबिक अमेरिका के कम से कम 200 सिनेमाघरों में यह फिल्म दिखाई गई। कहा जा रहा है कि गुजरात दंगों पर बनी बीजेपी की डॉक्यूमेंट्री फिल्म ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका में छवि को गहरा धक्का पहुंचाया है। मोदी की छवि केवल अमेरिकी मूल के लोगों में ही नहीं बल्कि भारतीय मूल के लोगों में भी काफी डिफेम हो गई जिसका असर प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान दिखाई दे रहा है।

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