
प्रयागराज। महाकुंभ क्षेत्र में भगदड़ के बाद मृतकों के आंकड़े पर वाद विवाद जारी है। सरकार ने अब तक केवल 30 लोगों के मरने की पुष्टि की है जबकि कहां जा रहा है कि तीन जगह पर भगदड़ हुई थी और अब भी सैकड़ो लोग लापता है। लापता लोगों के परिजन अभी भी भटक रहे हैं। इस बीच भगड़ के कारण पर तरह-तरह की बातें सामने आ रही हैं उनमें जो सबसे बड़ा कारण बताया जा रहा है वह यही है कि संगम और झूसी क्षेत्र में एक ही पांटून पुल से आने और जाने के कारण यह स्थिति पैदा हुई। सबसे बड़ी हैरानी की बात यह है कि भगदड़ के बावजूद अधिकारियों ने बंद हुए पांटून पुलों को खोलने के निर्देश नहीं दिए थे ऐसा क्यों किया गया था यह अपने आप में बड़ी जांच का विषय है।
इस बीच बंद हुए पांटून पुलों को लेकर तरह-तरह की चर्चा शुरू हो गई है। अब खबर आ रही है कि जिन पांटून फूलों को अति विशिष्ट कैटेगरी में रखकर बंद किया गया था वास्तव में उन सभी पांटून सेतु की गुणवत्ता संदिग्ध थी और यह बात अधिकारियों को पता थी। वह जानते थे कि यदि सेतु से भीड़ गुजरेगी तो वह टूट कर बह सकता है। अपना भ्रष्टाचार छुपाने के लिए ही अधिकारियों ने आपातकाल में भी बंद हुए पांटून पुल नहीं खोले और यह बड़ा हादसा हो गया। हालांकि अब इन मामलों की न्यायिक आयोग जांच कर रहा है लेकिन मेले के आयोजन से जुड़े अधिकारियों के लापरवाही भ्रष्टाचार और अराजकता एक-एक कर सामने आ रही है।
More Stories
गलती की वजह से हुई भगदड़:
क्यों चर्चा में है आरएसएस का शीश महल:
लागत से कम दाम पर बिकने लगी शराब: