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🚨 आबकारी विभाग की ‘गोल्डन डील’: वाराणसी के विनायक प्लाज़ा में अवैध शराब परोसने का खुला खेल!

Sun Sutra Baar में अफसरों की मिलीभगत से करोड़ों का धंधा, ऑकेजनल लाइसेंस बना ‘कानूनी जुगाड़’

वाराणसी, महाभारत न्यूज़ डेस्क।
वाराणसी के विनायक प्लाज़ा स्थित Sutra Baar रेस्तरां में शराब परोसने का बड़ा खेल उजागर हुआ है। सूत्रों के मुताबिक, आबकारी विभाग के अधिकारियों और क्षेत्रीय निरीक्षक की मिलीभगत से यह बार खुलेआम बिना स्थायी लाइसेंस के शराब परोस रहा है।

🎭 एक दिन का लाइसेंस, कई दिनों का खेल

जांच में सामने आया है कि रेस्तरां प्रबंधन सिर्फ एक दिन का ऑकेजनल लाइसेंस लेकर लगातार कई दिनों तक शराब परोस रहा है। आबकारी निरीक्षक की सक्रिय भूमिका और मौन स्वीकृति के चलते यह धंधा दिन-रात फल-फूल रहा है। बताया जा रहा है कि यह सिर्फ Sutra Baar तक सीमित नहीं है — पूरे बनारस में इसी तरह के कई बार “एक दिन के लाइसेंस” के सहारे महीनों से शराब परोस रहे हैं।

💰 करोड़ों का अवैध कारोबार, अफसरों की ‘साइलेंट पार्टनरशिप’

अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, इस पूरे अवैध कारोबार में डिप्टी एक्साइज कमिश्नर और जिला आबकारी अधिकारी तक की मिलीभगत बताई जा रही है। यह करोड़ों रुपये का खेल है, जिसमें अफसरों से लेकर फील्ड स्तर तक का नेटवर्क शामिल बताया जा रहा है।

🧩 बैठक में उठे सवाल, अधिकारी ने हंसी में टाला मुद्दा

आशंका को और बल तब मिला जब कल बार लाइसेंस धारकों के साथ जिला आबकारी अधिकारी की बैठक के दौरान कुछ लोगों ने अवैध बारों के संचालन का मुद्दा उठाया। लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि जिला आबकारी अधिकारी ने इस गंभीर सवाल को हंसी में टाल दिया, जिससे साफ संकेत मिलते हैं कि ऊपर तक संरक्षण प्राप्त है

⚠️ शहर में बढ़ रहा है अवैध बारों का जाल

वाराणसी में इस वक्त ऐसे कई “लाउंज” और “रेस्टोरेंट” खुलेआम शराब परोस रहे हैं, जिनके पास न तो स्थायी लाइसेंस है, न वैध अनुमति। शहर के कई इलाकों — सिगरा, लंका, लहरतारा, महमूरगंज शिवपुरी और गोदौलिया — में यही ‘फॉर्मूला’ अपनाया जा रहा है।

📢 जनता और प्रशासन से सवाल

  • क्या आबकारी विभाग के अफसरों की यह मिलीभगत जनसुरक्षा और कानून की खिल्ली नहीं है?
  • क्या एक दिन के लाइसेंस को स्थायी लाइसेंस का विकल्प बनाया जा सकता है?
  • और क्या सरकार को पता नहीं कि अवैध बारों से हर महीने लाखों का राजस्व नुकसान हो रहा है?

🕵️ जांच की मांग

स्थानीय समाजसेवियों और कई लाइसेंसधारियों ने इस पूरे प्रकरण की जांच आबकारी आयुक्त और प्रमुख सचिव (आबकारी) से कराए जाने की मांग की है, ताकि ‘वाराणसी मॉडल ऑफ एक्साइज करप्शन’ का पर्दाफाश हो सके।


(अवधभूमि न्यूज़ — इन्वेस्टिगेशन डेस्क)
“जब अधिकारी ही माफिया बन जाएं, तो कानून सिर झुका देता है।”


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