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बोडोलैंड निकाय चुनाव में BPF का दबदबा, 28 सीटें जीतकर बहुमत

गुवाहाटी, 27 सितम्बर 2025 — असम की राजनीति में बड़ा उलटफेर करते हुए बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट (BPF) ने बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (BTC) के चुनावों में शानदार वापसी की है। कुल 40 सीटों में से 28 सीटों पर जीत दर्ज कर BPF ने स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है। इस नतीजे ने भाजपा (BJP) और उसके सहयोगी यूनाइटेड पीपल्स पार्टी लिबरल (UPPL) को गहरी चोट दी है।

बीजेपी-यूपीपीएल गठबंधन को बड़ा झटका

नतीजों के अनुसार UPPL को 7 सीटें और भाजपा को सिर्फ 5 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। यह परिणाम सीधे तौर पर मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा की रणनीति और उनके चुनावी नैरेटिव पर सवाल खड़े करते हैं। पिछले चुनावों में UPPL-BJP गठबंधन का दबदबा था, लेकिन इस बार मतदाताओं ने BPF पर भरोसा जताया।

BPF की जीत के कारण

विश्लेषकों का मानना है कि BPF ने स्थानीय मुद्दों पर फोकस किया और अपने पुराने जनाधार को दोबारा संगठित किया। पार्टी के दिग्गज नेता हग्रामा मोहिलारी की पकड़ और ग्रामीण क्षेत्रों में संगठन की मजबूती ने निर्णायक भूमिका निभाई। दूसरी तरफ BJP और UPPL के बीच मतभेद और स्थानीय नाराजगी ने भी BPF को फायदा पहुंचाया।

हिमंता बिस्वा सरमा के लिए बड़ा झटका

मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने BTC चुनाव को भाजपा के लिए मजबूत पकड़ का सबूत बनाने की कोशिश की थी। लेकिन परिणामों ने उनके सारे दावों को फेल कर दिया। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यह हार सिर्फ स्थानीय पराजय नहीं, बल्कि 2026 विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल है, जिसमें भाजपा को अपनी रणनीति नए सिरे से बनानी होगी।

2026 की राजनीति पर असर

बोडोलैंड क्षेत्र असम की कई विधानसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाता है। BPF की यह जीत आने वाले विधानसभा चुनावों में समीकरण पूरी तरह बदल सकती है। भाजपा के लिए यह नतीजा एक बड़ी चेतावनी है कि बिना स्थानीय नेतृत्व और जनाधार के सिर्फ विकास और सुरक्षा का नैरेटिव चुनाव जिताने के लिए पर्याप्त नहीं होगा।

नतीजे और आगे की राह

BPF की जीत के साथ BTC में अब नीतिगत बदलाव की उम्मीद है। स्थानीय प्रशासन में नए एजेंडे के तहत शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और शांति बहाली जैसे मुद्दों को प्राथमिकता दी जाएगी। दूसरी तरफ BJP और UPPL ने कहा है कि वे नतीजों की समीक्षा कर आगे की रणनीति तय करेंगे।

निष्कर्ष: बोडोलैंड का यह चुनाव नतीजा साफ संदेश देता है कि असम में 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा को अपनी जमीनी पकड़ मजबूत करनी होगी, वरना BPF जैसी क्षेत्रीय ताकतें पूरे राज्य की राजनीति में फिर से बड़ा खेल पलट सकती हैं।


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