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प्रतापगढ़ में फल फूल रहा  नकली व मिलावटी सोने – चांदी का कारोबार:


प्रतापगढ़ में सोने-चांदी का अवैध कारोबार बेकाबू

ठठेरी बाजार, बजाजा और पलटन बाजार में 24 कैरेट सोना 80 हजार तोले तक, शादी-ब्याह के खरीदार आभूषण माफियाओं के जाल में

प्रतापगढ़। जिले में नकली और खरे सोना-चांदी का काला कारोबार इन दिनों अपने चरम पर है। जानकारी के अनुसार जयपुर और मथुरा से बड़े पैमाने पर सोने के बिस्किट और चांदी की सिल्ली थोक कारोबारी प्रतापगढ़ मंगाते रहे हैं। यह माल सीधे जिले के प्रमुख व्यापारिक केंद्रों – चौक , श्याम विहारी गली , बजाजा पंजाबी मार्केट  में उतारा जाता है, जहां से इसकी थोक और फुटकर स्तर पर बिक्री होती है।

सूत्रों की मानें तो सोना-चांदी की लगातार बढ़ती कीमतों का फायदा उठाकर कई कारोबारी 24 कैरेट सोने को 80 हजार रुपये प्रति तोला तक बेच रहे हैं। बजाजा के एक व्यवसायी पर आरोप लगा है कि वह केवल 9 कैरेट सोने को 24 कैरेट के दाम पर बेच देता है  हालांकि अवधभूमि इस दावे की पुष्टि नहीं करता, लेकिन स्थानीय बाजार में यही आम चर्चा है।

शादी-ब्याह के खरीदार बन रहे शिकार

सोना-चांदी की कीमतों में लगातार तेजी से आम परिवारों में चिंता है। खासकर वे लोग, जिनकी बहू-बेटियों की शादी-ब्याह की तैयारी निकट है, पहले से ही आभूषण खरीद लेना चाहते हैं। ऐसे ग्राहक जल्दीबाजी में ठगों के जाल में फँस जाते हैं। सूत्र बताते हैं कि इन्हें अक्सर नंबर दो के सोने-चांदी थमा दिए जाते हैं। यानी खरे और नकली धातु को मिलाकर ऊँचे दाम पर बेचना आम बात हो गई है।

कच्चे पर्चे पर करोड़ों का सौदा

इस अवैध कारोबार का सबसे बड़ा पहलू यह है कि यहां पर खरीद-बिक्री बिना पक्के बिल और बिना टैक्स इनवॉइस के होती है। कारोबारी केवल कच्चे पर्चों पर करोड़ों रुपये का सौदा निपटा देते हैं। सरकार को न सिर्फ बड़े पैमाने पर राजस्व का नुकसान उठाना पड़ता है, बल्कि उपभोक्ताओं को भी शुद्धता की कोई गारंटी नहीं मिलती।

हॉलमार्किंग सिस्टम की अनदेखी

केंद्र सरकार ने सोने-चांदी की शुद्धता प्रमाणित करने के लिए BIS हॉलमार्किंग सिस्टम अनिवार्य कर रखा है। नियम साफ कहते हैं कि:

  • केवल BIS अधिकृत केंद्र ही शुद्धता प्रमाणित कर सकते हैं।
  • 22 कैरेट और 24 कैरेट सोने पर स्पष्ट हॉलमार्क मुहर होना जरूरी है।
  • उपभोक्ताओं को पक्का बिल और टैक्स इनवॉइस देना अनिवार्य है।

लेकिन प्रतापगढ़ में इन नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ रही हैं। कई दुकानदार बिना हॉलमार्क और बिना बिल के ही जेवर बेच रहे हैं।

सरकार और प्रशासन पर सवाल

सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि यह कारोबार लंबे समय से चल रहा है, लेकिन प्रशासन और वाणिज्य कर विभाग की ओर से कोई ठोस कार्रवाई सामने नहीं आई है। न तो किसी तरह की छापेमारी हो रही है और न ही नकली कारोबारियों पर शिकंजा कसा जा रहा है।

आम जनता का आक्रोश

बाजार के जानकारों का कहना है कि यह अवैध कारोबार न केवल आम उपभोक्ताओं को ठग रहा है, बल्कि सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व नुकसान भी पहुँचा रहा है। उपभोक्ताओं के बीच यह सवाल गूंज रहा है कि आखिर सरकार और प्रशासन कब जागेगा?


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