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वाराणसी रेलवे स्टेशन पर शराब तस्करी का बड़ा खुलासा, आबकारी विभाग के अधिकारियों पर गंभीर सवाल:

लखनऊ/वाराणसी, 04 सितम्बर 2025।

उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल ने आज वाराणसी स्टेशन पर एक बड़ी कार्रवाई करते हुए शराब तस्करी के बड़े खेल का पर्दाफाश किया। पार्सल कार्यालय में नियमित जांच के दौरान वाराणसी से पटना भेजे जा रहे 16 पैकेट (32 टिन अचार के रूप में बुक) को लगेज स्कैनर मशीन से चेक किया गया। जांच में इन पैकेटों से 283 बोतल अवैध शराब बरामद हुई। मौके पर ही एक व्यक्ति को हिरासत में लेकर संबंधित प्राधिकरणों को कार्रवाई हेतु सूचित किया गया।

रेलवे प्रशासन की इस त्वरित और सख्त कार्रवाई से यह स्पष्ट हो गया है कि रेलवे यात्रियों की सुरक्षा, कानून-व्यवस्था और अवैध गतिविधियों की रोकथाम को लेकर पूरी तरह सतर्क और प्रतिबद्ध है। लेकिन इस घटना ने आबकारी विभाग की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

सूत्रों के अनुसार, वाराणसी के डिप्टी एक्साइज कमिश्नर न सिर्फ लंबे समय से अपने मुख्यालय से गायब रहते हैं बल्कि बिना किसी वैध नियुक्ति आदेश के खुद को “जॉइंट डायरेक्टर स्टैटिक” बताकर काम कर रहे हैं। शराब माफियाओं को संरक्षण देना और उन्हें लाभ पहुंचाना उनका मुख्य एजेंडा बन चुका है।

वाराणसी रेलवे स्टेशन का पार्सल विभाग लगातार गांजा और शराब की तस्करी का बड़ा अड्डा बना हुआ है, जिसमें आबकारी विभाग का प्रवर्तन अमला भी सीधे तौर पर शामिल बताया जा रहा है। यह कहा जा रहा है कि इस तस्करी का एक बड़ा हिस्सा प्रवर्तन टीम तक पहुंचता है, और यही वजह है कि इस गैरकानूनी कारोबार को लगातार बढ़ावा मिलता रहा है।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि वाराणसी के डिप्टी एक्साइज कमिश्नर प्रदीप दुबे, आबकारी विभाग के प्रमुख सचिव और आबकारी आयुक्त के बेहद करीबी माने जाते हैं। यही नजदीकियां उन्हें पूरी तरह सुरक्षित कवच प्रदान करती हैं। सवाल यह उठता है कि जब रेलवे प्रशासन अवैध शराब पकड़ने में सफल हो रहा है तो आबकारी विभाग की प्रवर्तन टीम क्यों नाकाम है?

इस मामले के खुलासे के बाद पूरे विभाग में खलबली मच गई है। अब देखने वाली बात होगी कि क्या प्रदीप दुबे पर वास्तव में कोई कार्रवाई होती है या एक बार फिर ऊपर तक की नजदीकियों के चलते मामला दबा दिया जाएगा।

प्रमुख सचिव और आबकारी आयुक्त की आलोचना अब तेज हो गई है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि अगर ऐसे अधिकारियों को संरक्षण मिलता रहा तो आबकारी विभाग की छवि पूरी तरह ध्वस्त हो जाएगी और तस्करों का मनोबल और बढ़ेगा।

👉 यह खुलासा न सिर्फ आबकारी विभाग की पोल खोलता है बल्कि इस बात की भी पुष्टि करता है कि शराब माफिया और अधिकारी मिलकर किस तरह जनता और कानून व्यवस्था के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।


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