

लखनऊ। आबकारी विभाग के एडिशनल कमिश्नर नवनीत सेहरा ने तत्काल प्रभाव से चीनी मिल और डिस्टलरी में सेवा प्रदाता कंपनी ओएसिस की ओर से आबकारी विभाग के लिए ट्रेस और ट्रैक सिस्टम के संचालन के लिए नियुक्त किए गए कर्मचारियों को चीनी मिल और डिस्टलरी द्वारा सीधी नियुक्ति दिए जाने को गंभीरता से लेते हुए चीनी मिल और डिस्टलरी को ऐसे लोगों की नियुक्ति पर आपत्ति जताई है और ओएसिस के किसी भी कर्मचारी की डिस्टलरी या चीनी मिल द्वारा नियुक्ति पर रोक लगा दी है
ओएसिस लग रहा आबकारी विभाग को हजारों करोड़ का चूना:
पूर्व प्रमुख सचिव संजय भूस रेड्डी ने अपने नजदीकी सेवा प्रदाता कंपनी ओएसिस को नियम विरुद्ध 560 करोड रुपए का ट्रेस और ट्रैक सिस्टम का ठेका दिया। टेंडर के नियम और शर्तों के मुताबिक चीनी मिल से डिस्टलरी तक मोलासेस की सुरक्षित सप्लाई और डिस्टलरी से गोदाम तक बिना मिलावट की शराब की आपूर्ति और दुकानों पर विभाग द्वारा पंजीकृत ब्रांड के शराब की बिक्री सुनिश्चित करने के लिए पूरी प्रक्रिया की निगरानी का काम आबकारी विभाग के इंस्पेक्टर सहायक आबकारी आयुक्त सहायक आबकारी आयुक्त तथा टास्क फोर्स को साइड लाइन कर ओएसिस को दे दिया गया। ओएसिस कंपनी आज भी संजय भूस रेडी की वफादार है। संजय भूसा रेड्डी ओएसिस कंपनी के जरिए डिस्टलरी और चीनी मिल में आज भी अपनी घुसपैठ रखते हैं। ओएसिस कंपनी के लोग डिक्शनरी और चीनी मिल के कर्मचारी संजय भूसा रेड्डी के कार्यकाल में ही बन गए थे। ओएसिस के कर्मचारी डिस्टलरी में अवैध शराब का उत्पादन वितरण और भंडारण में मदद करते हैं बदले में उन्हें मोटी रकम दी जाती है और सरकार को प्रति महीने हजारों करोड रूपए राजस्व का चूना लग जाता है। इतना ही नहीं अब विभाग के अधिकृत पोर्टल IESCMS का संचालन करने वाले पूर्व एडिशनल कमिश्नर लाइसेंस और वर्तमान में ओएसिस के लिए काम करने वाले हरिश्चंद्र श्रीवास्तव इस समय रेडी को और कई बड़ी शराब कंपनियों की ओर से भी तनख्वाह लेते हैं बदले में उनके उत्पादन के आंकड़ों में मनचाहा हेरा फेरी करते हैं और विभाग को करोड़ों रुपए के राजस्व को चूना लगाते हैं। इतना ही नहीं ओएसिस पोर्टल की ओर से ठेके पर रखे गए पूर्व जॉइंट एक्साइज कमिश्नर जीसी मिश्रा ओएसिस पोर्टल के जरिए शराब कंपनियों के लिए ही काम करते हैं। हाल ही में आबकारी विभाग को हाई कोर्ट में सैकड़ो की संख्या में मुकदमों का सामना करना पड़ा लेकिन जीसी मिश्रा आबकारी विभाग की कोई मदद नहीं कर पाए और विभाग को अलग से महंगे वकील रखने पड़े जिसमें करोड़ों का खर्च आया। खास तौर पर ऐसे मामले जिसमें आबकारी विभाग वर्सेस डिस्टलरी या आबकारी विभाग वर्सेस चीनी मिल का मामला होता है उसमें जीसी मिश्रा डिस्टलरी और चीनी मिल से नफा नाजायज लेकर शराब माफियाओं को ही फायदा पहुंचाते हैं। कुल मिलाकर ओएसिस के जरिए हरिश्चंद्र श्रीवास्तव का खेल नए एडिशनल कमिश्नर को समझ में आने लगा है और माना जा रहा है कि यह पहला कदम है। हाल फिलहाल एडिशनल कमिश्नर के इस कदम से पूरे विभाग में हड़कंप है।
More Stories
मोडवेल के खेल में फसी शराब कंपनी और आबकारी विभाग:
कोर्ट के शिकंजे में फंसा प्रतापगढ़ का नटवरलाल:
इजराइल का सरेंडर