लाखो कुंतल शीरा और चीनी की चोरी:

लखनऊ। गन्ना चीनी और आबकारी विभाग की मिली भगत से गन्ना किसानों के साथ बहुत बड़ा खेल किया है। मिली जानकारी के मुताबिक गन्ना क्रय केंद्रों पर गन्ना किसानों से घटतौली की जा रही है। प्रति कुंतल गन्ने की तौल पर 5 से 10 किलो तक घटतौली की जा रही है। इस तरह किसानों को प्रति 100 कुंतल गन्ने की विक्री पर लगभग ₹7500 तक का घाटा हो रहा है जबकि प्रति 100 कुंतल गन्ने की खरीद पर चीनी मिलों को 6.2 कुंतल शीरा घटतौली की वजह से फ्री मिल रहा है। इस तरह चीनी मिल किसानों को कई करोड़ रुपए का चूना लगाती हैं। खेल गन्ना क्रय केंद्रों से शुरू होता है। दरअसल चीनी मिलों का ही कांटा लगा होता है और चीनी मिल गेट पर भी चीनी मिल का ही तौल कांटा लगा होता है। जिसकी वजह से गन्ना किसान पूरी तरह चीनी मिल के शोषण का शिकार हो जाते हैं और जानते हुए भी कुछ नहीं बोल पाते।
चीनी और आबकारी विभाग की मिलीभगत से हो रही लूट:
गन्ना किसान की लूट की बाद चीनी मिलों को आबकारी विभाग मदद करता है। दरअसल जो लाखों कुंतल सिरप चीनी मिल अवैध रूप से बनाती है। उनके स्टॉक निरीक्षण के लिए तैनात आबकारी के उप निरीक्षक चीनी मिल के कर्मचारी बन जाते हैं और चीनी मिल जैसा चाहती है वैसी रिपोर्ट वह बनाकर विभाग को भेज देते हैं मतलब वह लाखों कुंतल मोलासेस चोरी करने में चीनी मिल की मदद करते हैं और बदले में चीनी मिल आबकारी विभाग के संबंधित तकनीकी अधिकारी और डिप्टी एक्साइज कमिश्नर कमिश्नर और शासन के उच्च अधिकारियों तक मोटी रकम पहुंचा देते हैं और यह खेल जारी रहता है। एक अनुमान के मुताबिक चीनी मिल लाखों कुंतल मोलासेस गन्ने की चोरी से तैयार करते हैं और फ्री सेल में 1200 से ₹1500 प्रति कुंतल की दर से बेचकर कई सौकरोड रुपए का मोटा मुनाफा कमाते हैं और इसका एक बड़ा हिस्सा उच्च अधिकारियों को भी देते हैं।
डिस्टलरी अनिल वर्मा और तकनीकी विभाग का करोड़ों का खेल:
सूत्रों ने दावा किया है कि चीनी मिल और उससे जुड़ी हुई डिस्टलरी आबकारी विभाग की क्षेत्रीय प्रयोगशाला में तैनात अनिल वर्मा और तकनीकी विभाग में तैनात नॉन टेक्निकल सहायक आबकारी आयुक्त संदीप मोडवेल की मिली भगत से करोड़ों रुपए की प्रतिमाह उगाही कर रहे हैं। पता चला है कि मेरठ और लखनऊ की विभाग की क्षेत्रीय प्रयोगशाला के टेक्नोलॉजिस्ट अनिल वर्मा डिस्टलरी से आने वाले मोलासेस और अल्कोहल के सैंपल को पास करने के लिए 5 से ₹15000 वसूल करते हैं। जानकार सूत्रों ने दावा किया है कि प्रतिमाह लगभग 3 करोड रुपए अनिल वर्मा की वसूली में आता है और इसमें बड़ा हिस्सा एडिशनल कमिश्नर कमिश्नर प्रमुख सचिव और नॉन टेक्निकल प्रभारी अधिकारी प्राविधिक को भी जाता है। वसूली वाली बात में इसलिए भी दम लगता है कि अनिल वर्मा को सौदेबाजी के तहत लगभग 70 डिस्टलरी और चीनी मिल का प्रभार मिला हुआ है जबकि प्रयागराज में तैनात लैब टेक्नोलॉजिस्ट के पास मात्र पांच प्रतिशत चीनी मिल और डिस्टलरी का चार्ज है। मिली जानकारी के मुताबिक पूर्व एडिशनल एक्साइज कमिश्नर दिव्य प्रकाश गिरी जो वर्तमान में आबकारी गन्ना और चीनी विभाग के विशेष सचिव हैं उन्होंने वसूली के लिए ही अनिल वर्मा को तैनात कर रखा है।
अनिल वर्मा कैसे करता है शराब माफिया की मदद:
जानकार सूत्र ने दावा किया है कि अनिल वर्मा डिस्टलरी द्वारा भेजे गए मोलासेस का टीआरएस कम करके डिस्टलरी को इथेनॉल चोरी करने में मदद करता है और बदले में प्रत्येक डिस्टलरी हर महीने ₹500000 से ज्यादा अनिल वर्मा को भेंट करती हैं। देखना है गन्ना चीनी और आबकारी विभाग की इस लूट को नए एडिशनल कमिश्नर नियंत्रित कर पाते हैं या नहीं।
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