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प्रतापगढ़ जनपद में जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम में करोड़ों का घपला: स्वास्थ्य योजनाओं पर डाका डाल रहे हैं मुख्य चिकित्सा अधिकारी

प्रतापगढ़। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम यानी जेएसएसके के तहत जनपद के सीएचसी और पीएचसी में स्थापित पैथोलॉजी सेंटर के लिए तरह-तरह की बीमारियों के डायग्नोस्टिक किट और रसायनों की खरीद के लिए डेढ़ करोड़ रुपए भेजे थे। यह धनराशि जनपद में पहुंचते ही मुख्य चिकित्सा अधिकारी के शातिर साजिशों का शिकार हो गई। आपूर्ति के लिए समाचार पत्रों में निविदा प्रकाशित करनी थी लेकिन घाघ और दबंग मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने इसकी जरूरत महसूस नहीं की। पहले आपूर्तिकर्ता फर्मों को जोकि मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पूर्व परिचित और उनके मूल जनपद बस्ती के रहने वाले थे उन्हें बुलाया और सेटिंग के बाद टेंडर को जेम पोर्टल पर लोड कर दिया गया। जेम पोर्टल पर उच्च गुणवत्ता और मानक वाले प्रोडक्ट की आपूर्ति के लिए टेंडर जारी किया गया लेकिन वास्तव में जो भी डायग्नोस्टिक किट और रसायन स्वास्थ्य विभाग के स्टोर में पहुंचा वह बेहद ही घटिया और गुणवत्ता विहीन था। इस आपूर्ति के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने एक बड़ा खेल किया था उन्होंने स्थानी आपूर्तिकर्ता इस निविदा में भाग ना ले सके इसलिए उन्होंने अपने चहेते ठेकेदारों से विमर्श करके निविदा शर्तों में ऐसे परिवर्तन किए जिससे स्थानीय या अन्य फार्म ठेकेदार इस निविदा में भाग न ले पाएं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने आपूर्ति के लिए सारी डील स्वयं अपने आवास पर की। यही घटिया आपूर्ति अब मुख्य चिकित्सा अधिकारी के गले की फांस बन गया है।

एक ही फर्म कीसभी 25 प्रोडक्ट के लिए सबसे कम निकली बोली: सवालों से घिरे मुख्य चिकित्सा अधिकारी

जिला चिकित्सालय में स्थापित कोविड-19 सेंटर में स्थापित लैब में आरटी पीसीआर टेस्ट के लिए जरूरी 25 तरह के उपकरणों और दवाओं की आपूर्ति में भी बड़ा खेल हुआ है। बताया जा रहा है कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी की साजिश की वजह से घटिया आपूर्ति के लिए बदनाम कानपुर की एक फार्म को सभी ठेके मिल गया। सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि आरटी पीसीआर टेस्ट के उपकरण और दवाओं के लिए कई फर्मों ने निविदा में भाग लिया था लेकिन कानपुर की एक फर्म को ही सभी 25 प्रोडक्ट की आपूर्ति के लिए इस बिना पर उपयुक्त पाया गया कि उसकी बोली सबसे कम थी। इसके बाद ही मुख्य चिकित्सा अधिकारी पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। कहां जा रहा है कि निविदा में प्राइवेसी लीक कर दी गयी। यह भी कहा जा रहा है कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी के आवास ऑनलाइन निविदा में कानपुर की फर्म के प्रोपराइटर को प्रतिस्पर्धी फर्मों द्वारा टेंडर में कोट किए गए रेट की जानकारी दे दी गई जिसकी वजह से कानपुर की फर्म ने सभी आइटम में आपूर्ति के लिए सबसे कम बोली लगा दी और उसका टेंडर क्लियर हो गया। इस खेल के बदले मुख्य चिकित्सा अधिकारी को मोटी रकम हासिल हुई है ऐसा कहा जा रहा है।

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