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स्वच्छ भारत मिशन फंड में करोड़ों की लूट: हाकिम ने दी अपने चहेतों को छूट

प्रतापगढ़। स्वच्छ भारत मिशन में कानपुर में करोड़ों के बंदरबांट पर बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रमुख सचिव मनोज सिंह ने मुख्य विकास अधिकारी जिला पंचायत राज अधिकारी समेत कई अधिकारियों पर गाज गिराई। इसी क्रम में उन्होंने सभी जनपदों में एक पत्र भेजकर आगाह किया कि स्वच्छ भारत मिशन फेज टू में 313 करोड रुपए का घोटाला हुआ है। धनराशि नियमों के विपरीत निकाली गई है।

एडीओ पंचायत के डोंगल से निकला लाखों रुपया: डीपीआरओ ऑफिस की भूमिका पर उठे सवाल

मिली जानकारी के मुताबिक सॉलि़ड एंड वाटर वेस्ट मैनेजमेंट एसडब्ल्यूएम सी के तहत क्रमांक 5817 ग्राम जगदीशपुर ब्लाक सेड़वा चंद्रिका सचिव दुर्गेश जायसवाल प्रधान उषा सिंह यहां लाखों रुपए की धनराशि निकाली गई और जिस डोंगल से यह धनराशि निकाली गई वह डोंगल इसी ब्लॉक में एडीओ पंचायत उमेश द्विवेदी का है वह भी तब का है जब वह सेक्रेटरी थे। सवाल यह उठता है कि इतना पुराना डोंगल अभी तक कैसे एग्जिस्टिं कर रहा है। इसी तरह क्रमांक 5828 ग्रामपंचायत वरेंद सेक्रेटरी दुर्गेश जायसवाल प्रधान बद्री प्रसाद यहां भी लाखों रुपए की धनराशि निकाली गई और बंदरबांट हो गई। इसी ब्लॉक के सिंघनी और कल्याणपुर मोरहा मैं भी एसडब्ल्यूएम सी निधि में व्यापक पैमाने पर गोलमाल की खबर है।

बताया जा रहा है कि डोंगल को जिला मुख्यालय से यूज़ किया गया है और धनराशि अपने चहेते लोगों के खाते में भेजी गई है।

जानकारी मिली है कि शिवगढ़ ब्लाक के जामताली ग्राम सभा में लगभग 5000000 रुपए एस डब्ल्यू एम सी के तहत निकाले गए जबकि सेक्रेटरी चंद्रभाल को इसका पता ही नहीं चला। एस डब्ल्यू एम सी के तहत कराए गए कामों का निविदा प्रकाशन कब हुआ। निविदा में कितनी फर्मों ने भाग लिया किस फर्म ने क्वालीफाई किया और कब वर्क आर्डर जारी हुआ इससे संबंधित पत्रावली अस्पष्ट है और संदिग्ध भी।

जिला पंचायत राज अधिकारी के करीबी सचिव प्यारे लाल सरोज को आवंटित ग्राम पंचायत अमापुर वोर्रा में भी इस फंड में जमकर लूटपाट हुई है।

डीपीआरओ पर विवादित एडीओ पंचायत को खुला संरक्षण देने का आरोप:

एडीओ पंचायत उमेश द्विवेदी के बेटे की फर्म पर उनके कार्यक्षेत्र वाली ग्राम पंचायतों की तरफ से करोड़ों रुपए के वर्क आर्डर मिले इसको लेकर डिप्टी डायरेक्टर और स्वयं जिला पंचायत राज अधिकारी के स्तर से जांच हुई जांच में एडीओ पंचायत को दोषी पाया गया बावजूद इसके एडीओ पंचायत के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। चर्चा तो यहां तक है कि एडीओ पंचायत के लड़के की फर्म में डीपीआरओ की अतिरिक्त दिलचस्पी है जिसकी वजह से पूरे प्रतापगढ़ में ज्यादातर वर्क आर्डर मिल जाता है।

बिना काम किए एसडब्ल्यूएम सी फंड से 40% भुगतान करने पर जिलाधिकारी ने लगाई डीपीआरओ को फटकार

स्वच्छ भारत मिशन की प्रगति की समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी नितिन बंसल ने डीपीआरओ की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जाहिर करते हुए जमकर फटकार लगाई। समीक्षा बैठक के दौरान जब एसडब्ल्यूएम सी फंड की समीक्षा की गई तो पता चला कि बिना काम शुरू हुए ही 40% तक फर्मों को भुगतान कर दिया गया है इस पर जिलाधिकारी ने गहरी नाराजगी जाहिर की और डीपीआरओ से तुरंत कार्रवाई का निर्देश दिया।

स्वच्छ भारत मिशन और सॉलि़ड एंड वाटर वेस्ट मैनेजमेंट फंड की जांच हो तो डीपीआरओ समेत कई बड़े अधिकारी नप जाएंगे

सूत्रों का कहना है कि यदि सॉलि़ड एंड वाटर वेस्ट मैनेजमेंट फंड की पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता से जांच कराई जाए तो बहुत बड़े घपले का पर्दाफाश हो सकता है। जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय की संलिप्तता उजागर हो सकती है।

अधिकांश प्रधानों और सचिवों का डोंगल किसी और के पास

चुनाव के बाद प्रधान और सचिव के डोंगल बनाने में भी खेल हुआ है। बताया जा रहा है कि ग्राम पंचायतों के सचिवालय में गेटवे अपलोड करते समय भी बड़ा खेल हुआ है। कहां जा रहा है कि जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय से भी डोंगल का इस्तेमाल करने के गंभीर आरोप लगे हैं। बहुत से प्रधानों और सचिवों का डोंगल डीपीआरओ ऑफिस में काम आप कुछ लोगों के पास है।

दर्जनों गांव में गेटवे से हटकर हुआ भुगतान

जिले में कई ब्लाकों में गेटवे से हटकर लाखों रुपए का भुगतान हो गया था। मामला सुर्खियों में आने के बाद पंचायतों को नोटिस भेजकर आहरित धनु राशि को वापस करने का निर्देश दिया गया। सवाल उठा रहा है कि जिन पंचायतों में गेटवे से हटकर भुगतान होगा वहां जवाब दे लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई इस पर जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय ने चुप्पी साध ली है।

अपर मुख्य सचिव के आदेशों का लगातार हुआ उल्लंघन

मई 2022 में ही प्रमुख सचिव पंचायती राज मनोज सिंह ने डोंगल के इस्तेमाल के संबंध में स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किए थे जिसका जनपद में खुलेआम उल्लंघन हुआ है। डिजिटल सिगनेचर यानी डोंगल बनाने के लिए कुछ संदिग्ध लोगों को जिम्मेदारी दी गई जिन्होंने ग्राम पंचायतों में स्थापित कंप्यूटर में ऐप डाउनलोड करते समय लॉगिन और पासवर्ड अपने पास रख लिया। आज भी ज्यादातर सचिवों और प्रधानों का डोंगल एक निजी साइबर कैफे चलाने वाले व्यक्ति के पास बताया जा रहा है।

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