लखनऊ। यूं तो प्रमुख सचिव के रूप में संजय भूसरेड्डी रिटायर हो चुके हैं लेकिन इस बात की चर्चा है कि अब भी विभाग की गाड़ी और ड्राइवर आदि उनकी सेवा में है। हैरानी की बात यह है कि इसकी जानकारी होने के बावजूद शासन की ओर से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है । कहा जा रहा है कि गन्ना आबकारी और चीनी के महकमे के महत्वपूर्ण अधिकारी अब भी संजय भूसरेड्डी के फरमान का पालन कर रहे हैं।
ऐसी भी चर्चा है कि संजय भूसरेड्डी ने गन्ना संस्थान के एक कार्यक्रम में अपने नजदीकी लोगों से वर्तमान प्रमुख सचिव की नियुक्ति से काफी पहले ही बताया था कि वह वर्तमान प्रमुख सचिव की नियुक्ति करवा रहे हैं। यह सब बातें हैं इस समय आबकारी गन्ना और चीनी तीनों महकमे में जोरों से चल रही है। इस चर्चा को बल तब मिला जब अपनी नियुक्ति के बाद प्रमुख सचिव बीना कुमारी मीना ने पहला दौरा सीतापुर स्थित रेडिको ग्रुप की डिस्टलरी और डालमिया चीनी मिल का किया। बता दें कि रेडिको और डालमिया पर प्रमुख सचिव रहते हुए संजय भूसरेड्डी ने विशेष कृपा बनाए रखी थी। खबर तो यह भी है कि महत्वपूर्ण फाइलें अब भी संजय भूसरेड्डी तक पहुंचाई जा रही हैं। गन्ना चीनी और आबकारी तीनों महकमों के आयुक्त संजय भूसरेड्डी की सलाह से ही अपना राज का चला रहे हैं। आबकारी आयुक्त सेंथिल पांडियन सी द्वारा किए गए विवादित ट्रांसफर का मामला हो या फिर नियमों को ताक पर रखकर विभाग के लिए खरीदे गए डिजिटल अल्कोहल मीटर का मामला हो या पीओएस मशीन जो प्रत्येक लाइसेंसी को दी गई है उसकी घटिया गुणवत्ता का मामला हो यह सब भूसरेड्डी और कमिश्नर की मिलीभगत से करने का आरोप है। डिस्टलरी एसोसिएशन के लोग वर्तमान प्रमुख सचिव बीना कुमारी मीना के बजाए रिटायर्ड संजय भूसरेड्डी से मुलाकातें कर रहे हैं।
अधिकारियों के दंड प्रकरण में हस्तक्षेप कर रहे संजय भूसरेड्डी:
इस बात की भी चर्चा शुरू हो गई है कि ऐसे अधिकारियों को जिनको संजय भूसरेड्डी ने अपने कार्यकाल में व्यक्तिगत द्वेष की वजह से दंडित किया था उन्हें वर्तमान प्रमुख सचिव द्वारा कोई राहत ना मिल पाए इसके लिए नियुक्ति और कार्मिक में तैनात अधिकारियों पर दबाव बनाए हुए हैं।
लोग सवाल उठा रहे हैं कि रिटायर होने के बाद संजय भूसरेड्डी विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट और ट्विटर हैंडल पर कैसे सक्रिय है और वर्तमान प्रमुख सचिव द्वारा अब तक इस मामले में संज्ञान क्यों नहीं लिया गया।
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