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कश्मीरी पंडितों के मुद्दे पर हिट विकेट हो गई स्मृति ईरानी: 90 में भाजपा जनता दल की सरकार थी और जम्मू में राष्ट्रपति शासन

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी और कांग्रेस को खेलने के लिए कश्मीरी पंडितों का मुद्दा उठाया उन्होंने कहा कि गीता टिकू के साथ जो जुल्म हुआ और जिस तरह उनका बदन टुकड़े-टुकड़े किया गया उसके लिए लोग कांग्रेस की सरकार को माफ नहीं करेंगे। अपने इस बयान के बाद अब स्मृति ईरानी खुद सवालों में घिर गई हैं। इस मुद्दे के बहाने जाने अनजाने स्मृति ईरानी ने 1990 में केंद्र में चल रही भाजपा जनता दल गठबंधन सरकार को कटघरे में ला खड़ा किया। जनवरी 90 में कश्मीर में जो हिंसा हुई थी उसमें हजारों की संख्या में कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़कर भागना पड़ा था सैकड़ों लोग मारे गए थे और उस समय केंद्र में बी पी सिंह की सरकार भारतीय जनता पार्टी के सहयोग से चल रही थी जबकि कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू था। दरअसल स्मृति ईरानी कश्मीरी पंडितों के मामले में कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करना चाहती थी लेकिन तथ्य उनकी मानसा के विपरीत चल गया और दरअसल उन्होंने अपनी ही पार्टी के समर्थन से चल रही सरकार को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया।

केंद्र सरकार ने 20 दिन विलंब से भेजी थी घाटी में सेना

कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों के साथ जो अत्याचार हुआ उसको लेकर स्थानीय सरकार के साथ-साथ केंद्र में भाजपा के सहयोग से चल रही बी पी सिंह सरकार को भी दोषी माना जाता रहा है। कहा जाता है कि 10 जनवरी को जब कश्मीर में हिंसा भड़क गई थी तो तत्कालीन जम्मू कश्मीर सरकार ने तुरंत सैन्य हस्तक्षेप का आग्रह किया था लेकिन तत्कालीन केंद्र सरकार ने यह आग्रह ठुकरा दिया था। जिसकी वजह से करीब 17 दिनों तक हिंसा जारी रही और हजारों लोगों को घाटी छोड़कर भागना पड़ा और इस हिंसा में सैकड़ों लोग मारे गए। लोग मानते हैं कि अगर केंद्र सरकार ने तुरंत हस्तक्षेप किया होता और समय से सुना भेज दी होती तो बहुत से कश्मीरी पंडितों को जान से हाथ नहीं धोना पड़ता और ना ही घाटी छोड़कर भागना पड़ता।

इसके पहले संसद में भावुक होते हुए राहुल गांधी ने भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला उन्होंने कहा कि मणिपुर में भारत और हिंदुस्तान की हत्या हुई है। राहुल गांधी ने कहा कि जो मणिपुर की रक्षा नहीं कर पा रहे वही लोग असली देशद्रोही हैं।

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