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आबकारी महाघोटाला पार्ट 2: शराब माफियाओं के लिए काम कर रहे सेंथिल पांडियन सी और संजय भूसरेड्डी: डिस्टलरी को शीरा आवंटन में भारी धांधली; नियमों को ताक पर रखकर एक डिस्टलरी को जारी किया जा रहा है कोटे से अधिक शीरे का आवंटन: आबकारी विभाग को लग रहा है हजारों करोड़ का चूना:

लखनऊ। कैग रिपोर्ट के बाद उत्तर प्रदेश के तथाकथित ईमानदार आईएएस रहे संजय भूसरेड्डी और आबकारी आयुक्त सेंथिल पांडियन सी के ईमानदारी का मुखौटा उतर गया है। इन दोनों के करामात के चलते शराब माफियाओं ने आबकारी विभाग को 1276 करोड रुपए का चूना लगा दिया। हालांकि यह आंकड़ा 2019-20 तक का है जबकि इसके बाद विभाग ने कैग को ऑडिट करने के लिए दस्तावेज ही नहीं दिया है अन्यथा यह घोटाला लगभग 50000 करोड़ का हो सकता है। इस बीच अवध भूमि न्यूज़ को एक्सक्लूसिव जानकारी मिली है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक बड़े शराब कारोबारी को लाभ पहुंचाने के लिए पूर्व प्रमुख सचिव संजय भूसरेड्डी और वर्तमान आबकारी आयुक्त सेंथिल पांडियन सी ने एक ऐसी शराब पॉलिसी बनाई जिसका फायदा उठाकर शराब माफिया हजारों करोड़ का चूना विभाग को लगा रहे हैं।

क्या है पूरा मामला:

विश्व स्वास्थ्य सूत्रों का कहना है कि संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए 2023 – 24 के लिए शराब नीति बनाई। इस शराब पॉलिसी में यह निश्चित किया गया कि शीरे से 42.8 स्ट्रैंथ की शराब नहीं बनाई जाएगी यह शराब केवल ग्रेन से तैयार की जाएगी। पॉलिसी यह कह कर तैयार की गई कि गुणवत्ता युक्त शराब बनेगी जबकि वास्तव में इसके पीछे एक छुपा एजेंडा था। यह एजेंडा शराब कारोबारी को बड़ा मुनाफा दिलाना था।

हो रहा है कई हजार करोड़ का गोलमाल;

जानकार सूत्रों के मुताबिक एक तरफ शराब पॉलिसी में शीरे से 42.8 स्ट्रेंथ की देसी शराब बनाने पर रोक लगा दी गई है वहीं दूसरी ओर देसी शराब बनाने वाली डिक्शनरी को आवंटित होने वाले शीरे में कोई कटौती नहीं की गई जबकि डिस्टलरी को आवंटित किए जाने वाले शीरे की मात्रा को घटा देना चाहिए।

उदाहरण के लिए रेडिको ग्रुप को इस वर्ष भी 612 लाख टन शीरे का आवंटन किया गया है जबकि उसे नई शराब पॉलिसी के अनुसार अब 42.8 स्ट्रैंथ की देसी शराब नहीं बनानी है. तो फिर इस स्ट्रेंथ की शराब के लिए इस्तेमाल होने वाले शीरे के कोटे में कटौती क्यों नहीं की गई। यदि कटौती की गई होती तो रेडिको ग्रुप को एक सौ पचास लाख कुंटल शीरा कम दिया जाता।

विभाग को कैसे लगाया गया हजारों करोड रुपए का चूना:

बताया जा रहा है कि देसी शराब बनाने के लिए शराब कारोबारियों को जो शीरा उपलब्ध कराया जाता है इसकी दर 150 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास निर्धारित होती है जबकि फ्री सेल में जाने वाला यही शीरा 950 रुपए प्रति क्विंटल से लेकर 13 सो रुपए प्रति कुंतल तक बिक रहा है। अगर शराब पॉलिसी के अनुसार देसी शराब शराब निर्माता कारोबारियों को आवंटित शीरे मैं कटौती की गई होती तो यही शीरा खुले बाजार में हजार रुपए प्रति क्विंटल के आसपास बिकता और विभाग को बड़ा राजस्व प्राप्त होता लेकिन विभाग के अधिकारियों की साजिश के चलते इसका फायदा शराब कारोबारियों को मिल गया। कहां जा रहा है कि शराब कारोबारी ने 150 रुपए प्रति क्विंटल की दर वाला शीरा चोर दरवाजे से या तो विदेशी मदिरा बनाकर मोटा मुनाफा कमाया या फिर अन्य कारोबारियों को ऊंचे दामों पर बेचकर मालामाल हो गए।

पूर्व प्रमुख सचिव और वर्तमान आबकारी आयुक्त को मिलता है उनका हिस्सा:

शीरे का कोटा तय करने में और इस मुनाफाखोरी में वर्तमान आबकारी आयुक्त और पूर्व प्रमुख सचिव संजय भूसरेड्डी की बड़ी भूमिका है। सूत्रों की बात पर यकीन करें तो नियम के विरुद्ध आवंटित किए गए शीरे से जो फायदा कंपनियां ले रही हैं उसका एक बड़ा हिस्सा वर्तमान आयुक्त और पूर्व प्रमुख सचिव को मिलता है हालांकि इस दावे की अभी तक पुष्टि नहीं हुई है लेकिन जिस तरह से वर्तमान आबकारी आयुक्त पश्चिम के एक शराब कारोबारी के साथ घनिष्ठ संबंध रखते हैं और बदले में वह शराब कारोबारी इन्हें तरह-तरह के बहुमूल्य उपहार देता है उससे संदेह गहरा हो जाता है। कहां जा रहा है कि शीरे के अवैध आवंटन में ₹100 प्रति क्विंटल की दर से आबकारी विभाग के आला हाकिम तक उपकृत होते हैं। अब तक लाखों कुंटल अवैध शीरा इसी प्रकार से शराब कारोबारियों ने इस्तेमाल किया है।

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