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कोलकाता। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बंगाल में अपने किले को अजेय बनाए रखने के लिए एक मास्टर स्ट्रोक खेला है। ममता बनर्जी ने राज्य के आदिवासियों की दशकों पुरानी मांग पूरा करने का फैसला किया है। तृणमूल कांग्रेस सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक राज्य विधानसभा में दो प्रस्ताव पेश किए जाने हैं। पहला प्रस्ताव आदिवासियों के सरना धर्म को मान्यता देने संबंधी है जबकि दूसरा प्रस्ताव पश्चिम बंगाल के किसी भी विभाजन के खिलाफ है।
दोनों ही प्रस्ताव पर भाजपा की मुश्किल बढ़ गई है। भाजपा सरना धर्म प्रस्ताव के खिलाफ जाती है तो उसे पूरे देश में आदिवासी वोटों के नुकसान का खतरा है जबकि यदि बंगाल विभाजन विरोधी प्रस्ताव के खिलाफ जाती है तू भी उसे बंगाल में घाटा उठाना पड़ेगा।
पिछले लोकसभा चुनाव में आदिवासी मतदाताओं के दम पर भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी थी और 20 सीटें जीतने में सफलता प्राप्त की थी। आदिवासी वोटरों में पहली बार सेंधमारी करते हुए भाजपा ने विधानसभा चुनाव में अपनी सीटें 3 से बढ़ाकर 87 तक ले गई।
यह देखना दिलचस्प होगा कि सरना धर्म को लेकर भाजपा का क्या रवैया रहता है।
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