पटना। भारतीय जनता पार्टी के साथ एक बार नीतीश कुमार के फिर से सरकार बनाने के प्रयासों को झटका लगता हुआ दिखाई दे रहा है। जनता दल यूनाइटेड के बहुत से विधायक नीतीश कुमार के इस फैसले से बेहद नाराज है। चर्चा तो यहां तक हो रही है कि विधायक नीतीश कुमार की अनदेखी करके अपना नेता चुन सकते हैं। कम से कम 12 विधायक नीतीश कुमार की बुलाई बैठक में नहीं पहुंचे हैं। और जो विधायक पहुंचे भी थे उनमें से ज्यादातर विधायक नीतीश कुमार की बातों पर खामोश रहे। नीतीश कुमार ने विधायकों की बैठक में कई तरीके से भाजपा के साथ जाने के फायदे बताने की कोशिश की लेकिन मौजूद विधायकों की ओर से बहुत अधिक उत्साह जनक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई।
जनता दल यूनाइटेड के बड़े नेता नीतीश कुमार से स्पष्ट कह रहे हैं कि इस बार पाला बदलने से पार्टी की पूरी विश्वसनीयता समाप्त हो जाएगी। बहुत से नेता अपने भविष्य के लिए नीतीश के रास्ते पर जाने को तैयार नहीं है। नीतीश कुमार फिलहाल बहुत बड़े संकट में हैं। वह कोशिश कर रहे हैं कि अगले दो दिनों में पार्टी के नेताओं और विधायकों को सहमत कर ले लेकिन ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है। यदि नीतीश कुमार अपनी पार्टी को एकजुट नहीं रख पाए तो उनका राजनीति का अंत बहुत ही शर्मनाक होगा।
सावधानी से आगे बढ़ रही भाजपा
सूत्रों का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी नीतीश कुमार की उनकी पार्टी में वजूद देखने के बाद ही अंतिम फैसला करना चाहती है। नीतीश कुमार के साथ यदि उनकी पार्टी के कार्यकर्ता और समर्थक नहीं आते हैं तो वह सरकार बनाने के अभियान को ठप कर सकती है फिलहाल वह महाराष्ट्र में जिस तरह शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में तोड़फोड़ के बाद भी राजनीतिक रूप से मजबूत नहीं हुई है उस अनुभव को देखते हुए यहां प्रत्यक्ष तौर पर पार्टी तोड़फोड़ कर अपनी बदनामी नहीं करना चाहती। बिहार के लोगों के मन में किसी भी तरह के तोड़फोड़ के बाद विपक्ष खास तौर पर लालू और तेजस्वी के लिए सहानुभूति पैदा हो सकती है जो भाजपा के लिए लेने के देने जैसी स्थिति हो सकती है।
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