प्रयागराज। एक तरफ उत्तर प्रदेश में जहां महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा में शराब की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जा रही है वहीं दूसरी ओर आबकारी विभाग अपना राजस्व बढ़ाने के लिए पियक्कड़ों के साथ-साथ उनकी महिलाओं को भी शराब की दुकानों पर आकर्षित करना चाहता है। मिली जानकारी के मुताबिक विभाग के नए आबकारी आयुक्त आदर्श सिंह चाहते हैं कि महिलाएं भी यदि दारू पीना शुरू करेंगी तो विभाग का राजस्व बढ़ेगा। उन्होंने दुकानों पर साफ सफाई और ऐसा माहौल बनाने के लिए कहा है कि जिससे महिलाएं भी शराब की दुकानों की ओर आकर्षित हो सके। इसके लिए विभाग हम बार लाइसेंस देने को तैयार है जहां कोई भी व्यक्ति अपने परिवार के साथ दारु पी सके सनातन समाज में शराब को पतन और विनाश का कारण माना जाता है।
आबकारी विभाग का यह रवैया महिलाओं के लिए और उनके परिवार के लिए किसी आपदा से काम नहीं है। एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा करने वाले पुरुष 80% ड्रिंक करने वाले होते हैं बावजूद इसको रोकने के आबकारी विभाग चाहता है कि महिलाएं भी ड्रिंक करें जिससे उनके राजस्व बढ़ सके।
ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि उत्तर प्रदेश में राम राज्य की स्थापना क्या इसी तरह की जा रही है। अगर पुरुषों के साथ महिलाएं भी शराब पीने लगेंगे तो उनके बच्चों का और परिवार का क्या होगा। घरेलू हिंसा जहां चरम पर पहुंच जाएगी वहीं इस ऐसे परिवार में बच्चों के साथ भी अत्याचार चरम पर होगा।
मध्य निषेध अभियान पर लग गई रोक
आबकारी विभाग ने मध्य निषेध अभियान पूरी तरह रोक दिया है। इस बजट में कटौती कर दी है। पति-पत्नी दोनों पी सके इसके लिए होमवर्क का लाइसेंस देने को भी आबकारी विभाग तैयार हो गया है। समझ में नहीं आ रहा कि विभाग उत्तर प्रदेश को कहां ले जाना चाहता है।
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