कटर से टैंक की पाइप काटकर चोरी किया गया था हजारों लीटर ईएनए :
लखनऊ। गोंडा की नवाबगंज स्थित स्टार लाइट डिस्टलरी से पचासी हजार लीटर ईएनए चोरी के मामले में पुलिस को पुख्ता सबूत हाथ लगे हैं। पुलिस ने दावा किया है कि डिप्टी एक्साइज कमिश्नर आलोक कुमार और डिस्टलरी में तैनात सहायक आबकारी आयुक्त राम प्रीत चौहान की निरीक्षण रिपोर्ट फर्जी और गुमराह करने वाली है। थाना अध्यक्ष निर्भय नारायण सिंह ने दावा किया है कि डिस्टलरी में ईएनए भंडारण वाले कई टैंक की पाइप को कटर से काटकर 85000 लीटर ईएनए चोरी किया गया है। इस मामले में डिस्टलरी और आबकारी विभाग के कई अधिकारियों की साजिश नजर आ रही है। यह तथ्य सामने आने के बाद डिप्टी एक्साइज आलोक कुमार की निरीक्षण रिपोर्ट फर्जी साबित हो गई है। आलोक कुमार ने अपने निरीक्षण रिपोर्ट में कहा था कि स्टार लाइट नवाबगंज स्थित डिस्टलरी के गोदाम संख्या दो और टैंक संख्या 13 में टैंक की पाइपलाइन लीक होने से 27610 लीटर ईएनए बह गया था जबकि 2 दिसंबर 2024 की अपनी एक और गोपनीय रिपोर्ट में आलोक कुमार ने यह दावा किया कि डिस्टलरी में तैनात सहायक आबकारी आयुक्त राम प्रीत चौहान की मिली भगत से 58000 लीटर ईएनए जो की नौगांव मध्य प्रदेश से इंपोर्ट किया गया था इस डिस्टलरी में कभी पहुंचा ही नहीं। इस बीच इस चोरी के प्रकरण की जांच कर रहे गोंडा जनपद के नवाबगंज के थाना अध्यक्ष ने जो सबूत पेश किया है उससे पूरे मामले में नया ट्विस्ट आ गया है।
गुनहगारों को बचाने के लिए सक्रिय हुए कमिश्नर आदर्श सिंह:
85000 लीटर ईएनए की चोरी मामले में कमिश्नर आदर्श सिंह की भूमिका भी बेनकाब हो गई है। दरअसल इस घोटाले में उनके नजदीकी जॉइंट एक्साइज कमिश्नर लखनऊ दिलीप कुमार मणि त्रिपाठी डिप्टी एक्साइज कमिश्नर आलोक कुमार गोंडा जनपद के सहायक आबकारी आयुक्त लवानिया जब फंसने लगे तो शातिर खिलाड़ी की तरह कमिश्नर ने रामप्रीत चौहान जो कि इस डिस्टलरी में सहायक आबकारी पद पर तैनात है उसको भी चार्ज शीट नहीं दी गई ऐसा इसलिए किया गया कि यह प्रकरण यदि शासन को भेजा जाता तो पूरे घोटाले की निगरानी शासन स्तर पर शुरू हो जाती ऐसे में कमिश्नर समेत इस घोटाले के बहुत से गुनहगार बेनकाब हो सकते थे और बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता था इसीलिए कमिश्नर ने डिस्टलरी में तैनात आबकारी निरीक्षक पर कार्रवाई की क्योंकि निरीक्षक स्तर का प्रकरण कमिश्नर के स्तर से ही निस्तारित होता है और शासन को इसकी भनक भी नहीं लगती।
सूत्रों ने तो यह भी दावा किया है कि बड़े अधिकारियों को बचाने के लिए 50 लाख की वसूली हुई है यह पैसा किसके पास पहुंचा है इसको लेकर तरह-तरह की चर्चा हो रही है।
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