
नई दिल्ली। इस पाकिस्तान प्रेम कहा जाए या नादानी जो भी हो हमले से ठीक पहले पाकिस्तान को पूरी जानकारी विदेश मंत्रालय से मिल चुकी थी। पहलगाम की घटना के बाद ही पाकिस्तान को हमले के बारे में जानकारी दी गई थी। इतना ही नहीं सरकार ने पहलगाम घटना के 13 दिन बाद हमले की कार्यवाही की जबकि पाकिस्तान को 10 दिन पहले ही हमला होगा इसकी जानकारी दे दी गई पाकिस्तान ने इस जानकारी का फायदा उठाया और अपनी सुरक्षा तैयारिया पुख्ता कर लिया और अंतरराष्ट्रीय मंच से भी अपने लिए जरूरी समर्थन जुटा लिया। पाकिस्तान की यह कूटनीतिक जीत माने जा रही है कि उसने अमेरिका को भी अपने पक्ष में कर लिया। अमेरिका ने यह सुनिश्चित किया कि यूरोपीय यूनियन समेत अंतरराष्ट्रीय मंत्र पर प्रभावशाली देश भारत के साथ खुलकर न आ सके। विदेश मंत्रालय के नादानी का ही नतीजा है कि हमारा हमला पाकिस्तान के लिए वरदान साबित हुआ। पाकिस्तान को यह कहने का मौका मिल गया कि भारत को हमने बराबरी पर रोका है और पूरी दुनिया पाकिस्तान और भारत को एक ही तराजू में तौलने लगी।
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