
लखनऊ। मंच पर राजनीति के दिग्गज हो और राजनीति ना हो यह हो ही नहीं सकता। आज राजनीति का मेगा शो था। बड़े जतन से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी शानदार महफिल सजाई। मौका था 60000 से ज्यादा पुलिस भर्ती के सफल अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने का। चारों ओर योगी आदित्यनाथ की जय जयकार हो रही थी लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह यानी भारतीय जनता पार्टी के चतुर सुजान खिलाड़ी ने अपने संबोधन में मात्र एक शब्द का इस्तेमाल कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की खुशी को जहां गंभीरता में बदल दिया वहीं तनाव भी देखने को मिलने लगा। दरअसल संबोधन के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने पहले योगी आदित्यनाथ का नाम लिया और उनके कानून व्यवस्था की तारीफ की लेकिन साथ ही केशव प्रसाद मौर्य को अपने संबोधन में अपना मित्र बात कर यह महफिल केशव के नाम कर दी। अमित शाह से अपने को मित्र के रूप में सुनने पर केशव प्रसाद जहां मुस्कुराने लगे वही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अचरज में पड़ गए। उनके आश्चर्य में पढ़ने स्वाभाविक था क्योंकि उन्होंने बड़े मन से और भाव से गृह मंत्री अमित शाह से अपनी दूरी मिटाने के लिए उन्हें इस विशेष मौके के लिए आमंत्रित किया था लेकिन उन्होंने अपने एकमात्र शब्द के जरिए योगी आदित्यनाथ के सामने एक चुनौती प्रस्तुत कर दी। ऐसा लगता है कि गृह मंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन में जानबूझकर मित्र शब्द का प्रयोग किया ताकि राजनीति का विश्लेषण करने वाले लोग इस पर चर्चा करें विडंबना देखिए कि इसी चर्चा को समाप्त करने के लिए योगी आदित्यनाथ ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया लेकिन अब वह चर्चा नए सिरे से शुरू हो गई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने ही केशव प्रसाद मौर्य को अपना मित्र कहकर अमित शाह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य के भविष्य की भी झलक प्रस्तुत कर दी। उत्तर प्रदेश में 2027 में मुकाबला केशव प्रसाद मौर्या बनाम अखिलेश यादव करने का है इसको लेकर कयास बाजी का दौर जारी है।
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