
लखनऊ। एक आरटीआई के जवाब में डिप्टी कार्मिक ने धमाकेदार खुलासा किया है। उन्होंने जानकारी दी है कि वर्तमान में जॉइंट डायरेक्टर स्टैटिसटिक्स के पद पर कार्यरत डिप्टी एक्साइज कमिश्नर प्रदीप दुबे की पोस्टिंग के संबंध में किसी प्रकार का कोई आदेश ही नहीं जारी किया गया है। इतना ही नहीं प्रभारी प्राविधिक अधिकारी के रूप में तकनीकी मंजूरी देने वाले सहायक आपकारी आयुक्त संदीप मोडवेल तैनाती के संबंध में किसी प्रकार का कोई लिखित आदेश नहीं है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या प्रदीप दुबे और संदीप मोडवेल अवैध रूप से कार्य संपादित कर रहे हैं और आदेश जारी कर रहे हैं यदि ऐसा है तो आबकारी आयुक्त और प्रमुख सचिव के स्तर से कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई क्या इन अधिकारियों की मिली भगत से यह खेल हो रहा है।
सन्दीप मोडवेल के हस्ताक्षर से दर्जनों डिस्टलरी को मिली तकनीकी मंजूरी:
जिस संदीप मॉडवेल की पोस्टिंग का कोई आदेश नहीं है उन्हीं के आदेश से अब तक 50 से ज्यादा डिस्टलरी की तकनीकी मंजूरी व अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी की गई है। अब जब जाते हो गया है कि इनकी पोस्टिंग अवैध है तो उनके द्वारा जारी सभी आदेश स्वतः ही अवैध माने जाएंगे। यह प्रकरण बेहद गंभीर है और शासन स्तर पर यदि इसकी जांच हुई तो उच्च अधिकारी भी अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच पाएंगे।
प्रदीप दुबे की अवैध पोस्टिंग से फस जाएगी आबकारी पॉलिसी:
कई जानकारों का मानना है कि जॉइंट डायरेक्टर स्टैटिसटिक्स के रूप में प्रदीप दुबे की फर्जी पोस्टिंग की पुष्टि के बाद आबकारी पॉलिसी पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। जानकारों का मानना है कि यदि बिना किसी आदेश के जॉइंट डायरेक्टर के रूप में प्रदीप दुबे ने आंकड़े जारी किए हैं तो यह धोखाधड़ी की श्रेणी में आता है और इस कृत्य के लिए उनके ऊपर आपराधिक मुकदमा भी चलाया जा सकता है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब यह पोस्ट हो गया है कि बिना किसी आदेश के प्रदीप दुबे जॉइंट डायरेक्टर स्टैटिक के रूप में कार्य कर रहे हैं तो उनके द्वारा संपादित सभी कार्य अवैध और शून्य माने जाएंगे। ऐसी स्थिति में आबकारी विभाग और शासन को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।

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