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ग्रेडेशन लिस्ट में हेराफेरी, एसीआर-एपीआर गायब, 50 लाख का फ्लैट और 15 वर्षों से विवादित तैनाती

लखनऊ। आबकारी विभाग के मुख्यालय में तैनात निरीक्षक प्रसेन रॉय पर गंभीर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, उनकी वजह से विभाग की छवि लगातार धूमिल हो रही है और यहां तक कि आबकारी आयुक्त की प्रतिष्ठा भी सवालों के घेरे में है।

ग्रेडेशन लिस्ट और गोपनीय प्रविष्टियों में खेल

विभागीय सूत्र बताते हैं कि प्रसेन रॉय अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर ग्रेडेशन लिस्ट में जानबूझकर हेराफेरी करते हैं। कई बार योग्य अधिकारियों और कर्मचारियों की वरिष्ठता प्रभावित होती है। यही नहीं, वार्षिक गोपनीय प्रविष्टियां (एसीआर और एपीआर) समय पर मानव संपदा पोर्टल पर अपडेट नहीं की जातीं
जब पदोन्नति की बारी आती है तो यही एसीआर-एपीआर कर्मचारियों को ब्लैकमेल करने और अवैध वसूली करने का जरिया बन जाती है।

संपत्तियों पर उठ रहे सवाल

आरोप यह भी है कि प्रयागराज के लूकरगंज क्षेत्र में प्रसेन रॉय का एक आलीशान फ्लैट है, जिसकी कीमत 50 लाख रुपये से अधिक आंकी जा रही है। लेकिन इस फ्लैट का अब तक वैध मूल्यांकन नहीं कराया गया।
सूत्र यह भी दावा करते हैं कि रॉय की पत्नी और बच्चों के नाम पर कई बैंक खाते और अन्य संपत्तियां हैं। यदि इनकी गहन जांच की जाए तो काली कमाई और भ्रष्टाचार का बड़ा नेटवर्क सामने आ सकता है।

15 वर्षों से मुख्यालय में जमे रहने पर सवाल

सबसे बड़ी हैरानी की बात यह है कि रॉय की मुख्यालय में तैनाती पिछले 15 वर्षों से लगातार जारी है। सामान्य नियमों के तहत इतनी लंबी अवधि तक एक ही जगह पर बने रहना संभव नहीं है, लेकिन विभागीय नियमों को दरकिनार कर उन्हें लगातार यहीं तैनात रखा गया।
इससे विभागीय कर्मचारियों में यह चर्चा जोरों पर है कि आखिरकार आबकारी आयुक्त की ओर से उन पर लगातार मेहरबानी क्यों की जा रही है?

विभाग की साख पर संकट

कर्मचारियों का कहना है कि रॉय की करतूतों से विभाग की साख पर गंभीर असर पड़ रहा है। वरिष्ठ अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच असंतोष बढ़ रहा है और पदोन्नति की प्रक्रिया अवरुद्ध हो रही है।

जांच की मांग

विभागीय सूत्रों ने सरकार और उच्च अधिकारियों से मांग की है कि प्रसेन रॉय की संपत्तियों, बैंक खातों और 15 वर्षों से मुख्यालय में बनी हुई तैनाती की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। कर्मचारियों का मानना है कि जब तक इस मामले में ठोस कार्रवाई नहीं होती, तब तक आबकारी विभाग पर लगे भ्रष्टाचार के दाग मिटाना मुश्किल होगा।


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