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नजरिया: बांग्लादेश पर प्रधानमंत्री की खामोशी:

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री शेख हसीना के तख्ता पलट के बाद से जारी हिंसा में बहुत से हिंदुओं के मारे जाने तथा दुकान और मकान पर कब्जा करने के बाद भी केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री की रहस्यमई खामोशी अब लोगों को खटकने लगी है। मजे की बात यह है कि देश में विपक्ष की सरकारों में जहां भी कोई भी हिंदू मुस्लिम का मामला आता है तो आसमान को सिर पर उठा लेने वाला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी इस मामले पर सरकार से सवाल पूछने में गुरेज कर रहा है। सबसे बड़ी हैरानी की बात यह है कि विपक्ष मुखर होकर सरकार से कार्रवाई की मांग कर रहा है फिर भी सरकार की ओर से बहुत ही कमजोर और ठंडी प्रतिक्रिया सामने आ रही है। इसकी वजह क्या है इसको लेकर तरह-तरह की चर्चा सामने आ रही है। कई तरह की चर्चाओं में एक चर्चा यह भी है कि बांग्लादेश में प्रधानमंत्री मोदी की खामोशी की वजह अदानी है। कहां जा रहा है कि बांग्लादेश में अदानी की कंपनियों ने 68000 करोड रुपए से अधिक का निवेश किया है। अदानी को लगता है कि यदि भारत सरकार की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया सामने आती है तो बांग्लादेश उनकी संपत्तियों को वहां पर जब्त कर सकता है। अब यह बात खुलकर सामने आ रही है कि देश की विदेश नीति पर अडानी की व्यापार नीति भारी पड़ रही है। अदानी की कंपनियों ने चीन में भी भारी निवेश किया है यही कारण है कि चीन द्वारा देश की तमाम सीमाओं में प्रत्यक्ष अतिक्रमण के बावजूद मोदी सरकार कोई कड़ी प्रतिक्रिया  से बचती रही है। इसका कारण भी यही है कि चीन में भी कई प्रति में अदानी की कंपनियों का इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़ा निवेश हुआ है और अडानी और सरकार इस बात से डरते हैं कि चीन से यदि संबंध बिगड़ जाएगा तो अदानी की कंपनी को बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है।

पूरे देश में बांग्लादेश के हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर तमाम मुस्लिम संगठन और जमाते इस्लामी तक बांग्लादेश के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं लेकिन फिर भी प्रधानमंत्री मोदी की खामोशी पूरे देश को अखर रही है।

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