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नजरिया: कैसे बचेगा लोकतंत्र: सूरत के बाद इंदौर में भी छीन लिया गया लोगों का मताधिकार:

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी को अब मतदाताओं की नाराजगी से डर लगने लगा है। उसकी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा कैंडिडेट निर्विरोध निर्वाचित हो। पहले सूरत में कांग्रेस प्रत्याशी को डरा धमका कर उसका नामांकन खारिज कर दिया गया और अब वही कहानी इंदौर में दोहराई गई है। इंदौर से कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम पर भी दबाव डालकर उन्हें अपना नामांकन वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया गया जिससे कि भाजपा प्रत्याशी का निर्विरोध निर्वाचन सुनिश्चित हो सके। इन घटनाओं के बाद लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या भविष्य में लोकतंत्र रह जाएगा।

इससे पहले दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष दविंदर सिंह लवली को भाजपा में शामिल किया गया और गुरुद्वारा से कमेटी के सभी सदस्यों को भी भाजपा में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया। इतना ही नहीं उड़ीसा में भी सत्तारूढ़ बीजू जनता दल के विधायक पर भी दबाव डालकर उसे पार्टी में शामिल कराया गया।

सूरत कांड सामने आने के बाद यह आशंका जताई जा रही थी कि भाजपा ऐसा भाजपा शासित राज्यों में कई सीटों पर कर सकती है। लगातार सूचनाएं आ रही थीं कि भाजपा नेता इस तरह के प्रत्याशियों के शिकार पर निकले हैं। वो आशंका सोमवार को इंदौर में सही साबित हो गई। हालांकि भाजपा नेताओं ने अभी से कहना शुरू कर दिया है कि कांग्रेस प्रत्याशी ने स्वयं अपना नामांकन वापस लिया है।

भाजपा के मुकेश दलाल 22 अप्रैल को गुजरात के सूरत से निर्विरोध निर्वाचित हुए। कांग्रेस के नीलेश कुंभानी की उम्मीदवारी एक दिन पहले खारिज कर दी गई थी क्योंकि जिला रिटर्निंग अधिकारी ने पहली नजर में ही प्रस्तावकों के हस्ताक्षर में विसंगतियां पाई थीं।

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