अवधभूमि

हिंदी न्यूज़, हिंदी समाचार

चीन ने अरुणाचल के नदियों पहाड़ों और गांव के नाम तक बदल दिए: प्रधान सेवक खामोश क्यों हैं: प्रमोद तिवारी

लालगंज, प्रतापगढ़। राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता प्रमोद तिवारी ने चीन के द्वारा ताजा आवांछित घटनाचक्र के तहत अरूणांचल प्रदेश के ग्यारह गांवों तथा नदियों व पहाड़ो का भौगोलिक नाम बदलने के दुस्साहसिक कदम को देश की सार्वभौमिकता को कडी चुनौती कहा है। उन्होने मोदी सरकार पर इस घटनाचक्र को लेकर कडा हमला बोलते हुए कहा कि लगातार तीसरी बार चीन का यह दुस्साहस मौजूदा बीजेपी सरकार की कूटनीतिक और कमजोर विदेश नीति की सबसे बड़ी विफलता है। चीन के इस दुस्साहसिक प्रयास को लेकर बीजेपी की खामोशी को भी प्रमोद तिवारी ने अत्यन्त शर्मनाक ठहराते हुए अपनी तल्ख प्रतिक्रिया में इसे मोदी सरकार का कलंकपूर्ण अध्याय भी करार दिया है। वहीं सांसद प्रमोद तिवारी ने बिहार तथा पश्चिम बंगाल में साम्प्रदायिक दंगो पर भी बीजेपी की घेराबंदी करते हुए इसे लोकसभा के 2020 के चुनाव को लेकर जनता का ध्यान भटकाने के लिए बीजेपी सरकार के द्वारा एजेण्डा बदलने की धु्रवीकरण की चाल भी ठहराया है।
चीन द्वारा अरूणांचल में कूटनय के जरिए भौगोलिक परिवेश में जानबूझकर छेडछाड के एकतरफा प्रयास पर प्रमोद तिवारी ने कहा कि इसके पहले मोदी सरकार के कार्यकाल मे ही चीन ने पिछले 2016 तथा 2019 के बाद अब 2023 में नापाक हरकत करते हुए भारतीय भूभाग के अभिन्न अंग अरूणांचल के गांवो और पर्वत तथा नदियों का चीनी नामकरण करके देश की अजेय सम्प्रभुता पर आंख दिखाने का कुत्सित प्रयास करते हुए इन्हें चीनी नक्शे मे दर्शाने का नाकाबिले बर्दास्त शरारतपूर्ण कदम उठाया है। राज्यसभा मे विपक्ष के उपनेता तथा कांग्रेस की सर्वोच्च स्टीयरिंग कमेटी के वरिष्ठ सदस्य प्रमोद तिवारी ने कहा कि अरूणांचल प्रदेश का जर्रा जर्रा भारतीय भूभाग का अभिन्न अंग है। ऐसे मे उन्होने चीन के इस कदम को पीएम मोदी की चीनी मसले पर लगातार खामोशी को ढाल बनाते हुए देश के राजनैतिक नेतृत्व की कमजोर इच्छाशक्ति का खतरनाक कदम भी ठहराया है। उन्होने चीनी हरकत पर सरकार की जबरदस्त घेराबंदी करते हुए कहा कि बीजेपी हुकूमत देश के भीतर अडानी को बचाने मे लगी है और कमजोर विदेश नीति व दुर्बल से दुर्बलतम कूटनय के प्रदर्शन के कारण चीन अरूणांचल में हमारे बसे बसाये गांवो का चीनी नामकरण करने मे लगा है। श्री तिवारी ने कहा कि चीन इसलिए अपनी हरकतो से बाज नही आ रहा है क्योकि चुनाव के पहले जिन प्रधानमंत्री ने देश की जनता से वायदा किया था कि हम छदम युद्ध थोपने वाले चीन से लाल आंखो से नजर मिलाकर बात करेंगे, आज वही नेतृत्व चीन के मसले पर कुछ भी बोलने से कतरा रहा है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने पीएम को आडे हाथों लेते हुए कहा कि चीन की इस हरकत के बावजूद केन्द्र की खामोशी अत्यन्त शर्मनाक है। उन्होने लददाख प्रकरण पर भी मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि पीएम ने कहा था न तो चीनी सैनिक भारत के भूभाग मे आये थे और न ही हमारी भूमि पर कोई कब्जा हुआ था। इसके विपरीत देश के बीस जाबांज जवानो की शहादत हमें देनी पड़ी। उन्होनें कहा कि यदि प्रधानमंत्री अपनी जगह ठीक हैं तो देश जानना चाहेगा कि हमारे जाबांजों को सीमा पर शहादत पर क्यों देनी पड़ी। उन्होनें इस घटनाचक्र को भी वीर जवानों की शहादत का अपमान बताया। श्री तिवारी ने पीएम से अनुरोध किया है कि देश के सम्मान और गौरव की रक्षा में वह आगे बढ़कर मजबूत कदम उठायें। भारत की महान सेना के साथ समूचा देश सम्प्रभुता की रक्षा के मुददे पर हर कदम पर एकजुट मिलेगा। वहीं पश्चिम बंगाल और बिहार प्रान्त में हिंसा की घटनाओं को लेकर भी राज्यसभा मे विपक्ष के उपनेता प्रमोद तिवारी की त्यौरी चढ़ी नजर आयी है। मीडिया प्रभारी ज्ञानप्रकाश शुक्ल के हवाले से मंगलवार को यहां जारी बयान में उन्होने कहा कि मंहगाई और बेरोजगारी तथा सुरक्षा के मुददे पर विफल बीजेपी चुनावी एजेण्डा बदलना चाहती है। प्रमोद तिवारी ने कहा कि बिहार एवं पश्चिम बंगाल मे भाजपा के इशारे पर साम्प्रदायिक दंगे 2024 के चुनाव को लेकर अभी से धु्रवीकरण और साम्प्रदायिकता का माहौल बनाने का सत्ता पक्ष का गहरा षडयन्त्र है। उन्होनें बिहार के सीएम नीतीश कुमार तथा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी अनुरोध किया है कि वह इन दोनों राज्यों मे आम आदमी की सम्पत्ति की सुरक्षा के हर सम्भव प्रयास करें। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद ने नीतीश व ममता से यह भी कहा है कि दोनों नेतृत्व चुनाव को लेकर बीजेपी की राजनीतिक चालों को समझें और साम्प्रदायिक सदभाव के साथ मजबूत कानून व्यवस्था के पुख्ता प्रबन्ध हर हाल मे सुनिश्चित करें। उन्होनें दोनों प्रान्तों मे गैर भाजपाई सरकारों से यह भी कहा है कि साम्प्रदायिकता का माहौल बनाने मे चुनाव के धु्रवीकरण की भाजपा की चाल व मंसूबे को विफल करने के लिए शांति व्यवस्था की स्थिरता सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

About Author