
लखनऊ पिछले 10 वर्षों से आबकारी मुख्यालय के कार्मिक में अंगद के पांव की तरह जमे हुए प्रसेन रॉय को लेकर कई बड़े खुलासे हुए हैं। मानव संपदा पोर्टल पर उनके द्वारा दिए गए विवरण के अनुसार आबकारी निरीक्षक के अभिलेख में प्रसेन कुमार रॉय है जबकि पिता के कालम में शिवकुमार सिंह लिखा है। ऐसे में सवाल पैदा होता है कि जब पिता के नाम के साथ सिंह लिखा है तो इन्होंने अपने नाम के साथ राय कैसे जोड़ दिया। यह क्या गड़बड़ झाला है और इसकी जांच क्यों नहीं हुई। पिता और पुत्र के नाम की स्पेलिंग मात्रा गलत होने के वजह से तमाम लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है ऐसे में इतनी गंभीर त्रुटि को विभाग ने गंभीरता से क्यों नहीं लिया। प्रसेन रॉय की नियुक्ति संबंधी पूरी पत्रावली की जांच होनी चाहिए और शैक्षिक अभिलेख का भी परीक्षण होना चाहिए कहीं और किसी स्तर पर तो फर्जी वाडा नहीं हुआ है।
प्रसेन रॉय की कार्मिक में तैनाती स्पाउस ग्राउंड पर हुई जबकि उनकी पत्नी गवर्नमेंट जॉब में नहीं है। ऐसे में 10 वर्षों से कार्मिक में यह किसकी मेहरबानी से बने हुए हैं इसका खुलासा हो रहा है। आप देखने वाली बात है कि प्रसेन रॉय आबकारी मुख्यालय के वसूली एजेंट प्रसेन रॉय के कारनामों का खुलासा होने के बाद उन पर कोई कार्रवाई होती है या नहीं।


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