
नई दिल्ली। अपने तमाम फैसलों से भाजपा को राहत पहुंचाने वाली मायावती का अपने भतीजे और बीएसपी के उत्तराधिकारी आकाश आनंद को सभी पदों से हटाने की घोषणा के बाद बीएसपी का कार्ड अंदर तक हिल गया है। इसे मायावती का सेल्फ गल मान जा रहा है हालांकि इसका असर बीजेपी को भी झेलना है। विपक्ष अब खुलकर यह आरोप लगाएगी की भाजपा के दबाव में ही आकाश आनंद हटाए गए हैं। आकाश आनंद ने अपने चुनावी कैंपेन में जिस तरह की धार दिखाई उसने भाजपा को बेचैन कर दिया। एक चुनावी सभा में आकाश आनंद ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की बुलडोजर नीति की कड़ी आलोचना करते हुए इसकी तुलना तालिबान के आतंकवादियों से कर दी इसके बाद हंगामा हो गया हालांकि उनके इस बयान की चर्चा दलित समाज में नीचे तक हुई और उनके बयान को साहस के रूप में देखा गया। चुनाव आयोग ने नोटिस जारी किया और भाजपा ने कड़ी नाराजगी जाहिर की जिससे बसपा सुप्रीमो डर गई और उन्होंने आकाश आनंद की सभी चुनावी सभाएं रद्द कर दी उन्हें चुनावी कैंपेन से वापस बुला लिया गया और भाजपा को संतुष्ट करने के लिए आकाश आनंद को सभी पदों से मुक्त कर दिया गया। मायावती के इस फैसले से उनका ही काडर सबसे ज्यादा नाराज है। उसे भी अब लगने लगा है कि बहन जी भाजपा के दबाव में काम कर रही है। आकाश आनंद को हटाए जाने की 1 दिन पहले ही सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने ट्वीट करके बहुजन समाज से अपील की थी कि वह अपना वोट खराब ना करें क्योंकि बीएसपी बीजेपी की मदद कर रही है इसी बीच आकाश आनंद को हटाने का फैसला सामने आया जिससे बहुजन समाज पार्टी अखिलेश यादव के आरोपों पर फिर से विचार करने को मजबूर हो गया। माना जा रहा है कि बचे हुए चरणों में बहुजन समाज पार्टी को बहुत बड़ा झटका लग सकता है और झटका साथ में बीजेपी को भी लग सकता है क्योंकि ज्यादातर लोग इस परसेप्शन के साथ है कि बहुजन समाज पार्टी के टिकट बंटवारे से लेकर सभी बड़े फैसले भाजपा की राय से हो रहे हैं। देखना दिलचस्प होगा कि बीएसपी इस स्थिति से कैसे उभरती है।
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