प्रयागराज। फर्जी जॉइंट डायरेक्टर जोगिंदर सिंह का एक और कारनामा सामने आया है। पूर्व एडिशनल कमिश्नर लाइसेंस हरिश्चंद्र श्रीवास्तव के साथ मिलकर विभाग में अवैध रूप से मेंटल पोर्टल की एक्सेस बनाई और इस पोर्टल के जरिए fl2 और cl2 गोदाम की ओर से लगाए गए इंडेंट की रकम न केवल हड़प ली बल्कि आईजीएल जैसी डिस्टलरी से भी कम से कम विभिन्न मदों में ₹60 लख रुपए जो मैटर पोर्टल के जरिए जमा की गई थी वह अब विभाग की अधिकृत IESCMS पोर्टल और आसवनी के लिखे में प्रदर्शित अवशेष धनराज में भारी भिन्नता पाई गई है। सूत्रों के मुताबिक यह रकम करीब 60 लख रुपए से ज्यादा है। जोगिंदर सिंह ने आईजीएल को पत्र लिखकर कहा है कि आपके द्वारा पोर्टल पर जाम की गई राजस्व धनराशि की समीक्षा नहीं की गई है।
ओएसिस के बजाय मेंटल पोर्टल पर क्यों भुगतान करने की दी गई अनुमति:
सबसे बड़ा और अहम सवाल यह है कि जब किसी भी पेमेंट के लिए ओएसिस अधिकृत था तो मेंटल पोर्टल पर भुगतान करने की अनुमति जोगिंदर सिंह ने कैसे दी। क्या इसके लिए करोड़ों रुपए की सौदेबाजी हुई। सूत्रों का कहना है कि सभी डिक्शनरी का और गोदाम का मिलाकर लगभग 12 करोड रुपए मेंटर पोर्टल पर लंबित है। इस पोर्टल के जरिए आबकारी विभाग के अधिकृत पोर्टल पर भुगतान नहीं दिख रहा है। कहां जा रहा है कि हरिश्चंद्र श्रीवास्तव और जोगिंदर सिंह मिलकर यह धनराशि हड़पने की कोशिश में है।
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