लखनऊ। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ की पवित्रता और पौराणिकता तथा इसकी सनातन संस्कृति को पूरी दुनिया में फैलाने के लिए जहां पूरी ताकत झोंक रखी है वही पवित्र महाकुंभ जनपद में आबकारी विभाग अपनी सैकड़ो दुकानों के साथ श्रद्धालुओं की सेवा में तत्पर है। देसी और विदेशी शराब की दुकानों के अलावा कई मॉडल शॉप और बार भी महाकुंभ जनपद में न केवल खोले गए हैं बल्कि आबकारी विभाग को भी महाकुंभ जनपद में पधारने वाले श्रद्धालुओं से अपनी राजस्व में भारी बढ़ोतरी की उम्मीद है। महाकुंभ जनपद और मेला क्षेत्र की परिधि के आसपास शराब की दुकान खुलने से जहां महाकुंभ की पौराणिकता और पवित्रता प्रभावित होगी वही कानून व्यवस्था के लिए भी यह स्थिति चिंताजनक हो सकती है। स्पष्ट शासनादेश है कि कुंभ क्षेत्र परिधि के 500 मीटर के आसपास शराब की विक्री और सेवन प्रतिबंधित रहेगा बावजूद इसके
सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जब शासनादेश हो गया कि महाकुंभ क्षेत्र परिधि के 500 मीटर के दायरे में किसी प्रकार से भी मदिरा और मांस का सेवन एवं बिक्री प्रतिबंधित रहेगा तो ऐसी स्थिति में आबकारी विभाग द्वारा दुकानों के व्यवस्थापन को लेकर कोई आदेश क्यों नहीं जारी किया गया। क्या आबकारी विभाग को उत्तर प्रदेश के शासनादेश की कोई परवाह नहीं है। इस संबंध में जिला आबकारी अधिकारी सुशील मिश्रा और उनके सर्किल इंस्पेक्टर की भूमिका सवालों के घेरे में है। इस बात की जांच होनी चाहिए कि शासनादेश के बावजूद महाकुंभ जनपद में बियर विदेशी शराब और देसी शराब की दुकानें तथा मॉडल शॉप कैसे खुले हैं। कहीं ऐसा तो नहीं की योगी सरकार को बदनाम करने के लिए आबकारी विभाग जानबूझकर शासनादेश की उपेक्षा कर रहा है। फिलहाल इस मामले की जांच की जरूरत है। मकर संक्रांति से प्रारंभ होकर 25 फरवरी 2025 तक आयोजित होने वाले महाकुंभ के लिए अभी तक आबकारी विभाग ने शासनादेश के अनुसार अपनी दुकानों के व्यवस्थापन के लिए किसी प्रकार का कोई निर्णय नहीं लिया है जबकि महाकुंभ क्षेत्र के आसपास देसी विदेशी दुकानों के खुलने से कानून व्यवस्था की स्थिति को गंभीर चुनौती मिलने की संभावना है।
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