एडिशनल लाइसेंस अरविंद कुमार राय और रामप्रीत चौहान की मिलीभगत
लखनऊ। गोंडा स्थित नवाबगंज डिस्टिलरी से गायब 58000 लीटर ईएनए चोरी की पुलिस जांच में डिप्टी एक्साइज कमिश्नर आलोक कुमार वर्तमान में जॉइंट एक्साइज कमिश्नर लखनऊ दिलीप कुमार मणि त्रिपाठी, वर्तमान में एडिशनल लाइसेंस अरविंद कुमार राय और पूर्व में जॉइंट एक्साइज कमिश्नर ईआईबी जैनेंद्र उपाध्याय की संलिप्तता पाई गई है।
पुलिस का कहना है कि डिप्टी एक्साइज कमिश्नर आलोक कुमार ने 11 अक्टूबर का 24 की अपनी जांच रिपोर्ट में नवाबगंज स्थित डिस्टलरी के गोदाम संख्या 2 और टैंक संख्या 13 से 27610 लीटर एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल टंकी पाइप के लीक होने से बह जाने की बात कही है जबकि जून 2024 में ही 58000 लीटर एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल की चोरी हो गई थी। ऐसे गंभीर प्रकरण की जानकारी होने के बाद भी आलोक कुमार ने इसकी प्राथमिक कि उस समय दर्ज नहीं कराई। पहले आरोपियों को बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन जब प्रकरण की जानकारी आबकारी मुख्यालय को हो गई तो 2 दिसंबर 2024 को एक गोपनीय रिपोर्ट मुख्यालय में पुनः भेजी। जिसमें 58000 लीटर एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल चोरी के लिए डिस्टलरी में तैनात सहायक आबकारी आयुक्त राम प्रीत चौहान और अन्य पर्यवेक्षणी अधिकारियों को जिम्मेदार बताया था।
इस प्रकरण की जांच कर रहे अधिकारियों के हवाले से सूत्रों ने जानकारी दी है कि इस घोटाले का तार आबकारी मुख्यालय से भी जुड़ रहा है। सबसे बड़ा सवाल आबकारी आयुक्त आदर्श सिंह पर उठ रहा है। सवाल इसलिए उठ रहा है कि नवाबगंज डिस्टलरी में तैनात सहायक आबकारी आयुक्त रामप्रीत चौहान के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है इस रामप्रीत चौहान को आबकारी आयुक्त ने सस्पेंड करने के बजाय बस्ती के रुदौली स्थित महत्वपूर्ण डिस्टलरी में तैनाती दे दी।
पूर्व जॉइंट एक्साइज कमिश्नर टास्क फोर्स और वर्तमान में एडिशनल एक्साइज कमिश्नर लाइसेंस अरविंद कुमार राय सवालों के घेरे में है क्योंकि ट्रैक एंड ट्रैस सिस्टम के अनुसार नौगांव छतरपुर मध्य प्रदेश स्थित डिस्टलरी से ईएनए का टैंकर लेकर उत्तर प्रदेश की सीमा में आने के बाद उसकी जीपीएस लोकेशन की निगरानी करने की जिम्मेदारी तत्कालीन ज्वाइंट एक्साइज कमिश्नर अरविंद कुमार राय की ही थी उन्होंने अपने इस दायित्व का निर्माण नहीं किया। पूर्व जॉइंट एक्साइज कमिश्नर जैनेंद्र उपाध्याय के नेतृत्व में प्रवर्तन इकाइयों ने भी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई। जिसकी वजह से इतनी बड़ी मात्रा में शराब माफिया ईएनए चोरी करने में सफल हो गए।
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