
नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई की छापेमारी की करवाई बीजेपी के लिए हर प्रकार से लाभ का सौदा रही। एक तरफ जहां प्रधानमंत्री प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई की कार्यवाही को भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस बता रहे थे वहीं इस कार्रवाई के जद में आने वाले कारोबारी बीजेपी का खजाना भरने के लिए इलेक्टोरल बांड की खरीद में जुट गए। मिली जानकारी के मुताबिक अब तक खरीदे गए कुल 16 हजार करोड रुपए मूल्य के इलेक्टोरल बांड में 13000 करोड रुपए मूल्य से अधिक के अनुबंध पत्र अकेले बीजेपी के पक्ष में गए हैं।
प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी कार्यवाही से यह सुनिश्चित किया कि विपक्ष को कारोबारी घरानों द्वारा किसी प्रकार का कोई चंदा ना मिले और भाजपा को उद्योगपति नियमित और अधिक से अधिक चंदा देते रहें। आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि जिन लोगों ने भारतीय जनता पार्टी को लिए इलेक्टोरल बांड खरीदे उन्हें न केवल परिवर्तन निदेशालय और सीबीआई के कार्रवाई से निजात मिली बल्कि उनकी आमदनी में भी बेतहाशा वृद्धि हुई।
सिरम इंस्टीट्यूट का टर्नओवर 700 करोड़ से बढ़कर 2100 करोड़ हो गया
इलेक्टोरल बांड से तरक्की कैसे होती है इसका एक महत्वपूर्ण उदाहरण यह है कि अडूर पूनावाला के सिरम इंस्टीट्यूट जो की वैक्सीन बनाने का काम करती थी और पिछले 20 सालों में उसका टर्नओवर मात्र 700 करोड़ रूपया था जैसे ही उसने 49 करोड रुपए का इलेक्टोरल बांड खरीद लिया केंद्र सरकार ने उसे कोविड-19 वैक्सीन का ठेका दे दिया। परिणाम स्वरूप 1 साल के भीतर कंपनी का टर्नओवर 2100 करोड रुपए पार कर गया।
इलेक्टोरल बांड की कहानी परत दर परत खुल रही है कहानी यह है कि जिसने भी इलेक्टोरल बांड खरीदे उसी की किस्मत बुलंद हो गई । सभी तरह की मुसीबत टल गई और वह दिन दुनो रात चौगुन तरक्की करने लगा।
More Stories
तो क्या कमिश्नर और प्रमुख सचिव को भी जाना पड़ेगा जेल !
उम्मीद के अनुरूप नहीं बिक रहे आवेदन फॉर्म:
शिक्षामित्रो को बड़ा झटका: