
लखनऊ। बिना रिसीवर और फर्मेंटर के ही गोरखपुर स्थित आईजीएल कंपनी की उत्पादन क्षमता 200 किलो लीटर प्रतिदिन वृद्धि करने का लाइसेंस निर्गत करने के मामले में तथाकथित फर्जी प्रभावित तकनीकी अधिकारी और वर्तमान में सहायक अधिकारी आयुक्त संदीप मोदवेल के चक्कर में आबकारी विभाग और शराब कंपनी दोनों फस गए हैं।
बता दे कि तथाकथित फर्जी प्रभारी तकनीकी अधिकारी एवं सहायक आबकारी आयुक्त संदीप मोडवेल ने मशहूर शराब कंपनी आईजीएल का बिना तकनीकी निरीक्षण के ही 200 किलो लीटर तक उत्पादन क्षमता में वृद्धि का लाइसेंस निर्गत कर दिया जबकि कंपनी ने इस संबंध में ना तो रिसीवर खरीदा और ना ही फर्मेंटर और ना ही स्टोरेज की नई व्यवस्था की। बताया जा रहा है कि शराब कंपनी पहले से ही अपनी घोषित उत्पादन क्षमता से 200 किलोमीटर प्रतिदिन अधिक शराब उत्पादन कर रही थी और विभाग को हर रोज करोड़ों रुपए उत्पादन शुल्क और लाइसेंस फीस के रूप में क्षति हो रही थी। या खेल तकनीकी विभाग की मिली भगत से चल रहा था। भविष्य में परेशानी से बचने के लिए शराब कंपनी आईजीएल ने 200 किलो लीटर उत्पादन क्षमता बढ़ाने हेतु लाइसेंस के लिए आवेदन किया और फर्जी तकनीकी अधिकारी के साथ डील किया। कहां जा रहा है कि लाखों रुपए की उगाही हुई उसके बाद तथागठित फर्जी तकनीकी अधिकारी संदीप मोडवेल ने बिना तकनीकी निरीक्षण के ही यह लाइसेंस निर्गत कर दिया जबकि संदीप मोडवेल नॉन टेक्निकल है और अवैध रूप से इस पद पर कार्यरत हैं।
अवध भूमि में संदीप मोडवेल के फर्जी वाडे की खबर चलने के बाद आईजीएल कंपनी ने तकनीकी विभाग को एक कथित तौर पर एक पत्र लिखा है जिसमें रिसीवर और फर्मेंटर के बिना ही कंपनी की उत्पादन क्षमता वृद्धि के लिए कंपनी ने स्वयं को दोषी मान लिया है और कहां है कि वित्तीय हालत खराब है ऐसी स्थिति में रिसीवर और फर्मेंटर बाद में खरीद लेंगे इसलिए 200 किलोमीटर की अतिरिक्त वृद्धि क्षमता का जारी लाइसेंस निरस्त न किया जाए।
कंपनी के इस पत्र से स्पष्ट हो गया है कि कथित प्रभारी तकनीकी अधिकारी ने कभी भी आईजीएल की डिस्टलरी का तकनीकी निरीक्षण किया ही नहीं था और बिना तकनीकी निरीक्षण के ही लाइसेंस निर्गत कर दिया गया था। एक और सवाल यह है कि क्या तकनीकी निरीक्षण केवल इसलिए नहीं हुआ कि यदि तकनीकी निरीक्षण होता तो आईजीएल डिस्टलरी की चोरी पकड़ी जाती और जो पहले से 200 किलो लीटर तक अतिरिक्त उत्पादन कर करोड़ों रुपए का राजस्व नुकसान हुआ इसका खुलासा हो जाता है डिस्टलरी पर भारी भरकम जुर्माना लगता। अब यह खेल उजागर हो गया है देखना है इस मामले में आबकारी विभाग क्या कार्रवाई करता है।
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