
लखनऊ। आबकारी विभाग में एक ऐसा कारनामा कर दिया है जिसको सुनकर लोग दांतों तले उंगलियां दबाने को मजबूर हो गए। जानकारी मिली है कि आबकारी विभाग ने ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम का काम देखने वाली कंपनी ओएसिस को आबकारी विभाग के समस्त लेनदेन का पेमेंट गेटवे बना दिया है जबकि शासन से इसकी कोई मंजूरी नहीं ली गई है। यह तथ्य सामने आने के बाद आबकारी विभाग द्वारा घोषित राजस्व आंकड़े भी सवालों के घेरे में आ गए हैं। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि बहुत से ट्रांजैक्शन बाद में करेक्ट किए जाते हैं और उसमें बड़ा अंतर पाया जाता है। आबकारी विभाग के जिम्मेदार अधिकारी या बात नहीं पा रहे हैं कि आखिर किसके आदेश पर ओवैसी जैसी प्राइवेट कंपनी को विभाग का पेमेंट गेटवे बनाया गया। जानकारों का मानना है कि इसमें राजस्व आंकड़ों में बड़ी हेरा फेरी की गुंजाइश है। यह खेल तमाशा क्या है ना तो इसका जवाब प्रमुख सचिव के पास है और ना ही आबकारी आयुक्त के पास। आखिर एक निजी कंपनी पर प्रमुख सचिव और आबकारी आयुक्त कितने मेहरबान क्यों है इसकी एसआईटी द्वारा जांच करने की जरूरत है। पता चला है कि fl2 और cl2 जो भी इंडेंट लग रहे हैं उसका पेमेंट गेटवे ओएसिस है और उसके द्वारा जारी रसीद भी फर्जी लग रही है क्योंकि इस रसीद में किसी भी पेमेंट रिसीव करने वाले अधिकारी के हस्ताक्षर तक नहीं है। कुल मिलाकर ओएसिस और आबकारी विभाग पूरी तरह सवालों के घेरे में है। कहां जा रहा है कि यह सारा किया कराया प्रदीप दुबे तथा कथित जॉइंट डायरेक्टर स्टेटिकस व पूर्व एडिशनल कमिश्नर लाइसेंस हरिश्चंद्र श्रीवास्तव जो रिटायर होने के बाद या पोर्टल संभाल रहे हैं इनके अलावा टास्क फोर्स और एडिशनल कमिश्नर लाइसेंस की जिम्मेदारी संभालने वाले अरविंद कुमार राय की मिली भगत से यह खेल हो रहा है। ओएसिस के जरिए आबकारी विभाग को अब तक कितने हजार करोड़ का चूना लगा है इसकी रिपोर्ट अवध भूमि अगले अंक में प्रकाशित करेगा।

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