
लखनऊ में निराश्रित और मंदबुद्धि बच्चों के आश्रय स्थल में अधिकांश बच्चे पूरी तरह कुपोषण के शिकार पाए गए हैं ऐसा देखकर लगता है कि जैसे उन्हें समय से और सही भोजन नहीं दिया जाता है उनके स्वास्थ्य पर भी ध्यान नहीं दिया जाता है बावजूद इसके जिला प्रोबेशन अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई जबकि यह उनकी जिम्मेदारी थी कि संस्था का वाचन निरीक्षण करके भोजन और स्वास्थ्य तथा अन्य मूलभूत सुविधाओं का निरीक्षण कर एक रिपोर्ट तैयार करना चाहिए था लेकिन मंडलीय अधिकारी प्रवीण कुमार तिवारी जो डायरेक्टर के काफी नजदीकी है और ऐसी संस्थाओं को फंड देकर उसमें बंदर बांट करते हैं। बच्चों की दुर्दशा के लिए स्पष्ट रूप से जिम्मेदार है। इस सवाल का जवाब कौन देगा कि संस्था को 6 महीने से भुगतान रोका गया था ऐसे में बच्चों को भोजन और उनके स्वास्थ्य संबंधी खर्च संस्था कहां से करती। कहां जा रहा है की एडवांस में कमीशन नहीं देने के चलते मंडलीय अधिकारी प्रवीण कुमार तिवारी ने यह भुगतान रोक रखा था।
महिला कल्याण विभाग के अंतर्गत संचालित पी.पी.पी. model पर जनपद लखनऊ में निर्वाण संस्था (क्षमता 200 बच्चे ) में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अभी तक मानसिक मंदित 4 बच्चे विभागीय अधिकारियों एवम जिला प्रशासन की लापरवाही से मृत हो गए हैं तथा 2 दर्जन अनाथ एवम मानसिक मंदित बच्चे गंभीर रूप से बीमार हो गए हैं!!
यह घटना महिला कल्याण विभाग के उच्च अधिकारियों की लापरवाही एवम निष्क्रियता का परिणाम है.इतनी बड़ी घटना के बावजूद अभी तक विभागीय अधिकारियों एवम मा . मंत्री जी ने न स्थलीय visit किया है और न ही कोई विभागीय अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की है?
सवाल यह है कि जब मण्डल के विभागीय अधिकारियों को प्रत्येक माह संस्था के औचक निरीक्षण के निर्देश जारी किए गएहैं तो क्यों नहीं प्रवीण कुमार त्रिपाठी जो कि विगत 3 वर्ष से लखनऊ मंडल के उप निदेशक के साथ साथ मंत्री जी की कृपा से GM महिला कल्याण निगम बन के बैठे लूट पात मे लगे हैं तो इन्हें बच्चों की शिक्षाव्यवस्था खाना पीना स्वास्थ्य आदि की कोई चिंता क्यों रहेगी?
उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने बच्चों के खाने पीने स्वास्थ्य खेलकूद को लेकर न्यायमूर्ति अजय भनोट जी ने गंभीर टिप्पणियों के बावजूद महिला कल्याण विभाग द्वारा कोई भी संजीदगी नहीं दिखाई गई है.
प्रवीण त्रिपाठी ने अपने 7 वर्ष के कार्यकाल में कमिशन न मिलने के चक्कर मे जनपद वाराणसी की प्रतिष्ठित देवा संस्था को भी जिसका 3 करोड़ रुपये बकाया भुगतान था बंद करवा दिया था इसी प्रकार से सुनने में आया है कि लखनऊ की निर्वाण संस्था की भी 6 माह से भुगतान लंबित है ऐसे मेें अनाथ मानसिक मंदीत बच्चों को कौन सुधि लेता??

मुख्यमंत्री ने उस अस्पताल का भ्रमण किया जहां पर बीमार बच्चे एडमिट है लेकिन महत्वपूर्ण तब होगा जब इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो। निराश्रित और अनाथ और मंदबुद्धि बच्चों के नाम पर अधिकारी धनराशि डकार जा रहे हैं इससे बड़ा पाप क्या हो सकता है।
निरीक्षण के लिए क्या है सरकारी आदेश:

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