
नई दिल्लीदेश का महान स्वतंत्रता आंदोलन, संविधान आरएसएस की नजर में क्या है, यह अब पूरी तरह और अच्छी तरह से साफ हो गया। शहीद-ए-आजम भगत सिंह से लेकर चंद्रशेखर आजाद, अशफाकउल्लाह खान की शहादत और महात्मा गांधी के अहिंसा आंदोलन को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने एक मिनट में ही खारिज कर दिया। उनका कहना है कि राम मंदिर निर्माण जिस दिन हुआ, उस दिन भारत को सही मायने में आजादी मिली। भारत के महान स्वतंत्रता आंदोलन को मिटाने की संघ की कोशिश पुरानी है लेकिन अब वो मुखर होकर सामने आकर बोलने लगे हैं। आखिर आरएसएस प्रमुख भागवत और अन्य संघ-भाजपाई नेता इस आजादी को क्यों मिटाना चाहते हैं।
भागवत ने सोमवार को इंदौर में कहा- “15 अगस्त, 1947 को भारत को अंग्रेजों से राजनीतिक आजादी मिलने के बाद, देश से निकले उस खास नजरिये के दिखाए रास्ते के अनुसार एक लिखित संविधान बनाया गया, लेकिन दस्तावेज़ के अनुसार नहीं चलाया गया।”
आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइजर ने कभी बाबा साहब अंबेडकर का विरोध भी किया था। उसने बाकायदा संपादकीय लिखकर संविधान का विरोध किया था। उसने कहा था हमे ऐसा संविधान नहीं चाहिए, जिसमें मनु स्मृति से कुछ भी नहीं लिया गया है। आरएसएस चाहता है कि भारत को मनुस्मृति के हिसाब से चलाया जाए।
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