बीबीसी की रिपोर्ट के बाद सवालों के घेरे में योगी सरकार:

वरिष्ठ पत्रकार अभिषेक उपाध्याय की फेसबुक वाल से साभार:
बीबीसी ने महाकुंभ की मौतों का वो सच सामने रखा है कि जिसे पढ़कर आप हतप्रभ रह जाएंगे।
योगी आदित्यनाथ उस रोज़ सूचना विभाग की ओर से प्रायोजित कैमरों के आगे रोए थे, आज उन्हें इस रिपोर्ट को पढ़कर एकांत में रोना चाहिए।
उन्हें रोना चाहिए कि उनकी कथित हिंदुत्व वाली सरकार ने ये क्या किया? महाकुंभ की भगदड़ में मारे गए हिंदुओं की अंतिम यात्रा को छल, छंद और झूठ की मैली और विपन्न शासकीय कालीनों से ढक दिया!!
बीबीसी ने अपनी पड़ताल में स्थापित कर दिया है कि उन्हें महाकुंभ में 82 लोगों की मौत के प्रमाणित सबूत मिले हैं। नाम है।
फोटो है। बयान है। घटना के वक्त की तस्वीरें हैं और इतना ही नहीं मौत की असली वजह छिपाने के एवज में पुलिस द्वारा उनके हाथों में रखी गई 5 लाख के ईनाम की रकम भी सतस्वीर मौजूद है।
देश भर के 50 से अधिक जिलों में चली बीबीसी की इस पड़ताल में उन्हें 26 ऐसे परिवार मिले जिन्हें 5-5 लाख के कैश के बंडल दिए गए और रवाना कर दिया गया। उन्हें मृतकों की सूची में शामिल नहीं किया गया।
बीबीसी को इन परिवारों से ऐसे फोटो और वीडियो मिले हैं जिनमें पुलिस वाले उन्हें 500 के नोटों के बंडल दे रहे हैं और कागजों में उनसे लिखवा लिया गया कि अचानक तबीयत बिगड़ जाने से मौतें हुईं।
इन 26 परिवारों को कुल 1 करोड़ 30 लाख रुपए इस तरह से दिए गए। ये सारे नोट पुलिस ने बांटे। परिवारों के पास नोट बांटते पुलिस वालों की तस्वीरें और वीडियो भी मौजूद हैं।
बीबीसी को 19 ऐसे परिवार भी मिले जिन्हें न घोषित मुआवजा दिया गया और न हीं ये 5 लाख की रकम भी। उनके पास मेला क्षेत्र में लिए गए वो फोटो और वीडियो भी हैं जिनमें उनके परिजनों की लाशें दिख रही हैं।
बीबीसी ने उन 36 मृतकों के घर जाकर उनकी तस्वीरें लीं और छापी हैं जिन्हें योगी सरकार ने मुआवज़ा तो दिया मगर आज तक उनकी लिस्ट नहीं जारी की। जिन 26 मृतकों के परिवारों को 5-5 लाख रुपया कैश देकर रफा-दफा कर दिया गया, बीबीसी ने उनकी भी तस्वीरें छापी हैं।
बीबीसी ने उन 19 मृतकों की भी तस्वीरें छापी हैं जिन्हें यूपी सरकार से कोई मुआवज़ा नहीं मिला। बीबीसी की पड़ताल में एक नहीं बल्कि चार जानलेवा भगदड़ों का पूरा ब्योरा मौजूद है।
आपको याद है, योगी आदित्यनाथ ने अपने इन्हीं मृतकों की खातिर चीख रहे, पुकार रहे, कलप रहे परिजनों को क्या कहा था? उन्होंने सोशल मीडिया की एक पोस्ट उठाकर गिद्ध और सूअर किसे कहा था?
योगी आदित्यनाथ कुछ भी हो सकते हैं। वे यूपी के सीएम हो सकते हैं। वे अरबों के सूचना के बजट से प्रायोजित हिंदू ह्दय सम्राट हो सकते हैं।
वे शिशिर और मृत्युंजय की कूट रचना से रचित सूचनाओं के माउंट एवरेस्ट के तेनजिंग नोर्गे हो सकते हैं। वे पुलिसिया मान सम्मान और गरिमा के “प्रशांत” महासागरीय धत् समर्पण की छाया में इतराते प्रायोजित दिग्विजय के पुरूरवा भी हो सकते हैं!!
वे एक पक्षीय माफियाओं के विवादित एनकाउंटरों की टारगेटिंग की अमिताभ लता के म्लान यशकायी कुसुम भी हो सकते हैं।
पर क्या वे योगी हो सकते हैं? जिसने भी परमहंस योगानंद, देवराहा बाबा और योगी अरविंद घोष के जीवन का अध्ययन किया होगा, आदित्यनाथ को योगी की संज्ञा देते हुए उसकी जिह्वा कांप जाएगी!!!
महाकंभ की ये मृतात्माएं कालजयी प्रश्चचिंहों का बेताल हैं योगी जी। ये आपकी पीठ से कभी उतरने वाली नहीं हैं!!!!
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