प्रयागराज। केंद्र सरकार भले ही बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाएं चलाकर अपनी पीठ थपथपा रही है लेकिन उसकी कथनी में और करनी में बहुत बड़ा अंतर है।
निठारी कांड की जिस घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था और पूरा देश उबल गया था उसके दरिंदे सरकार की ओर से लाचार पर भी और सबूत के अभाव में इलाहाबाद हाईकोर्ट से आरोप मुक्त हो गए । मनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोहली जैसे दरिंदों के आरोप मुक्त होने के बाद सीबीआई पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं साथ ही साथ देश की न्यायपालिका भी सवालों के घेरे में है।
मनिंदर सिंह पंढेर जिसकी गाजियाबाद के निठारी में एक आलीशान कोठी थी और इस कोठी के पीछे एक नाला है जिसमें 50 से ज्यादा बच्चियों और औरतों के नर कंकाल बरामद हुए थे इसके बाद पता चला था कि मनिंदर सिंह पंढेर का नौकर सुरेंद्र कोली कम उम्र की लड़कियों और महिलाओं को महिला फैसला कर कोठी में ले जाता था जहां उनके साथ बर्बरता से बलात्कार किया जाता था बाद में छोटे-छोटे टुकड़े काट कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया जाता था। कहा जाता है कि छोटे-छोटे टुकड़े में काटने के बाद उसे उबालकर कुत्तों को दिया जाता था और सारी हड्डियां और नर कंकाल इकट्ठा करके उसे नाले में फेंक दिया जाता था। यह सिलसिला कई सालों से चला रहा था। मामला तब खुला जब एक महिला जो निठारी गांव की रहने वाली है वह मनिंदर सिंह की कोठी पर काम करने गई थी और फिर लौटकर नहीं आई। इसकी जांच जब शुरू हुई तो पता चला कि सुरेंद्र कोली उसे बुलाकर ले गया था। इस मामले की गहराई से जांच होने के बाद मनिंदर सिंह पंढेर की दरिंदगी का कच्चा चिट्ठा सामने आ गया। उसे समय पुलिस की जांच में पता चला कि गाजियाबाद में गायब 50 से ज्यादा बच्चियों और महिलाएं मनिंदर सिंह पंधेर और सुरेंद्र कोली की दरिंदगी की शिकार बन चुकी थी। महिलाओं और बच्चियों को तड़पा तड़पा कर मारता था और मरने के बाद उनके छोटे-छोटे टुकड़े करके उबालकर के कुत्तों को खिलाता था और हड्डियां नाले में फेंकवा देता था।
इस मामले में निचली अदालत द्वारा फांसी की सजा मिलने के बावजूद हाईकोर्ट ने सजा को निरस्त कर ऐसे दरिंदों को राहत क्यों दे दी यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है। इससे भी बड़ा सवाल यह है कि जो सीबीआई प्रधानमंत्री की आंखों की तारा है वह सीबीआई ऐसे दरिंदों को फांसी की सजा क्यों नहीं दिला पाई। हाई कोर्ट में पर्याप्त साक्ष्य और सबूत क्यों नहीं दे पाई। तमाम सवालों के बीच फिलहाल देश की न्यायपालिका और केंद्र सरकार सवालों के घेरे में है।
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