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प्रदीप दुबे ने चलवाई  कई अवैध शराब की दुकाने:

कमिश्नर ने दिए जांच के आदेश:

लखनऊ। डिप्टी एक्साइज कमिश्नर प्रदीप दुबे पर शाहजहांपुर में जिला आबकारी अधिकारी रहते हुए कई अवैध शराब की दुकान संचालित करवाने का आरोप है। शाहजहांपुर के तिलहर से भारतीय जनता पार्टी विधायक वीर विक्रम सिंह की शिकायत के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय के आदेश पर आबकारी आयुक्त ने जांच का आदेश दिया है। आबकारी आयुक्त ने एक जांच कमेटी बनाई है जिसकी अध्यक्षता डिप्टी एक्साइज कमिश्नर एसपी सिंह को सौंप दी गई है।

प्रदीप दुबे पर आरोप है कि उनके जिला आबकारी अधिकारी रहते हुए शाहजहांपुर जिले में पिछले सालों में कम सिक्योरिटी जमा कर कई शराब की दुकानें चलती रहीं और कुछ दुकानों की सिक्योरिटी मनी बीच में ही निकाल ली गई जबकि शराब की वो दुकानें उन सालों में चलती रही। यह सब उस समय जिला आबकारी अधिकारी रहे प्रदीप दुबे के संज्ञान में होता रहा लेकिन लाइसेंसी उनके करीबी थे इसलिए उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की।  एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर आरोप की पुष्टि की है। कहा जा रहा है कि अब कई दुकान निरस्त होने जा रही हैं। निरस्त की गई दुकानों के लाइसेंसी के साथ प्रदीप दुबे की संलिपिटता की भी जांच की जा रही है।  प्रदीप दुबे पहले भी सवालों के घेरे में रहे हैं।

आठ दुकानों की सिक्योरिटी मनी में लगाई गई फर्जी एफडी:

बताया जा रहा है कि दुकानों की सिक्योरिटी मनी में विभाग को जो एफड़ी दी गई उसमें फर्जी वाला किया गया। बैंक से विभाग के पक्ष में 74000 की फिक्स्ड डिपॉजिट जारी हुई थी  लेकिन जिला आबकारी अधिकारी कार्यालय में जो  एफडी जमा हुई उसमें 7 लाख 40000 रुपया दर्शाया गया था। इस तरह करीब 30 लख रुपए का फर्जी वाड़ा हुआ। धोखाधड़ी जैसी गंभीर धाराओं में लाइसेंसी और उसकी पत्नी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई किंतु लापरवाही बरतने वाले तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई

उन पर डिप्टी एक्साइज कमिश्नर वाराणसी कार्यालय में तैनात एक महिला सिपाही ने शोषण का भी आरोप लगाया है जिसका मामला हाई कोर्ट में लंबित है।

एक तरफ आबकारी आयुक्त ऐसे गंभीर मामले में प्रदीप दुबे के खिलाफ जांच के लिए कमेटी गठित कर दी है वहीं इसी प्रदीप दुबे को फर्जी और अवैध रूप से जॉइंट डायरेक्टर स्टैटिक बना रखा है। संदिग्ध चरित्र वाले इस व्यक्ति के जरिए जो भी आंकड़े जारी हो रहे हैं वह सब फर्जी और मनगढ़ंत बताया जा रहे हैं जबकि फर्जी वाड़ा साबित होने के बाद स्वत ही जिला आबकारी अधिकारी की जवाब दे ही तय हो जाती है।

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