नई दिल्ली। संयुक्त विपक्ष के जातिगत जनगणना के दबाव में केंद्र सरकार ने एक नया दांव चला है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार ओबीसी आरक्षण से वंचित लगभग डेढ़ हजार नई जातियों को शामिल करने जा रही है। यह वह जातियां हैं जिन्हें आज तक आरक्षण का लाभ नहीं मिला।
सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस जी रोहिणी की अगुवाई में इस आयोग का गठन किया गया मौजूदा समय में देश में 2700 जाती हैं आयोग के कार्यकाल को करीब 15 बार बढ़ाया जा चुका है मौजूदा आरक्षण नियमों के तहत ओबीसी जातियों के लिए कुल 27% आरक्षण निर्धारित है।
इस बीच मौजूदा आयोग ने ओबीसी आरक्षण में 1500 नई जातियां शामिल करने का फैसला किया है जिन्हें पहले आरक्षण नहीं मिला है। ऐसा होने पर आरक्षित वर्ग में आने वाली प्रमुख जातियां यादव पटेल निषाद और मौर्य कुशवाहा जैसी जातियों को घाटा उठाना पड़ेगा क्योंकि नए सिफारिश के मुताबिक इन को 27% आरक्षण में से बटवारा करते हुए मात्र 7% आरक्षण में सीमित कर दिया जाएगा। फार्मूले के मुताबिक जो जातियां पहली बार आरक्षित वर्ग में शामिल हो रहे हैं उन्हें 10% आरक्षण मिलेगा जबकि ऐसी जातियां जिन्हें एक या दो बार आरक्षण का लाभ मिला है उन्हें 27% कोटे में 9% तक की हिस्सेदारी मिलेगी।
केंद्र सरकार को भेजी गई इस सिफारिश के बाद हड़कंप मच गया है। उत्तर प्रदेश बिहार मध्य प्रदेश झारखंड जैसे राज्यों में पिछड़े वर्ग की प्रमुख जातियों में बेचैनी बढ़ गई है। अभी तक कला की प्रमुख दलों की ओर से इसको लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं आ रही है लेकिन माना जा रहा है कि यदि केंद्र सरकार ने यह सिफारिश मान ली तो अधिक जनसंख्या वाली प्रमुख पिछड़ी जातियों को नुकसान होना तय है।
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